मुंबई: महाराष्ट्र साइबर पुलिस ने अब तक के सबसे बड़े डिजिटल फ्रॉड का पर्दाफाश किया है, जिसमें साइबर अपराधियों ने एक शिक्षित और संपन्न दंपत्ति से करीब 58 करोड़ रुपये की ठगी कर ली। हैरानी की बात यह है कि ठगी का शिकार बने दंपत्ति न केवल उच्च शिक्षित हैं, बल्कि अपने-अपने क्षेत्रों में सफल प्रोफेशनल भी रहे हैं।
CBI अफसर बनकर किया वीडियो कॉल
मामला 19 अगस्त से शुरू हुआ, जब 72 वर्षीय पीड़ित को एक वीडियो कॉल आया। कॉल करने वालों ने खुद को CBI अधिकारी बताया और कहा कि उनके बैंक अकाउंट का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है। आरोपियों ने दावा किया कि उनके अकाउंट से 45 लाख रुपये की अवैध ट्रांजैक्शन हुई है और अब उन पर कानूनी कार्रवाई होगी।
‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा गया दंपत्ति
साइबर ठगों ने वीडियो कॉल पर नकली CBI ऑफिस, पुलिस स्टेशन और कोर्ट का सेटअप दिखाया। उन्होंने पीड़ितों को विश्वास दिलाने के लिए व्हाट्सऐप पर कोर्ट ऑर्डर भी भेजे। इसके बाद दंपत्ति को मानसिक रूप से “डिजिटल अरेस्ट” में रखा गया। उन्हें हर दो घंटे में अपनी गतिविधियों की जानकारी देनी पड़ती थी।
जब भी दंपत्ति घर पर होते, ठग उन्हें वीडियो कॉल ऑन रखने को कहते, और बैंक जाने पर ऑडियो चालू रखने का निर्देश देते। डर और भ्रम की स्थिति में दंपत्ति ने जालसाजों के कहने पर अपने अकाउंट, निवेश और संपत्ति से जुड़ी सारी जानकारी साझा कर दी।
40 दिन में उड़ाए 58 करोड़ रुपये
धीरे-धीरे जालसाजों ने उन्हें यह विश्वास दिलाया कि अगर वे कानूनी कार्रवाई से बचना चाहते हैं, तो निर्दिष्ट खातों में पैसे ट्रांसफर करें। इसी डर में दंपत्ति ने 19 अगस्त से 29 सितंबर के बीच लगभग 58 करोड़ रुपये विभिन्न फर्जी खातों में भेज दिए।
पैसे खत्म होने पर जब उन्होंने एक मित्र को पूरी बात बताई, तो ठगी का एहसास हुआ। इसके बाद 11 दिन की देरी से 10 अक्टूबर को FIR दर्ज कराई गई।
अब तक 7 गिरफ्तार, 4 करोड़ बरामद
महाराष्ट्र साइबर पुलिस ने मामले में अब तक 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और करीब 4 करोड़ रुपये की राशि रिकवर की है। जांच के लिए 9 विशेष टीमें गठित की गई हैं। पुलिस का कहना है कि ठगों ने कॉल ट्रेसिंग से बचने के लिए VPN का इस्तेमाल किया और रकम को शेल कंपनियों व विदेशी खातों में ट्रांसफर किया गया।
बैंकिंग सिस्टम में सुधार जरूरी
ADG, महाराष्ट्र साइबर, यशस्वी यादव ने कहा, “इस तरह के मामले तब तक नहीं रुकेंगे जब तक बैंकिंग सिस्टम में सुधार नहीं किया जाता। फर्जी खातों का खुलना बड़ी समस्या है। इसके लिए सख्त नियम और दिशानिर्देश जरूरी हैं। साथ ही लोगों को भी साइबर फ्रॉड के प्रति जागरूक होना होगा।”
जागरूकता ही बचाव का सबसे बड़ा हथियार
यह घटना बताती है कि साइबर ठग अब अत्याधुनिक तकनीक और मनोवैज्ञानिक दबाव दोनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पढ़े-लिखे, अनुभवी लोग भी इनके जाल में फँस रहे हैं। इसलिए किसी भी सरकारी या एजेंसी के नाम पर आने वाले कॉल या मैसेज की स्वतंत्र रूप से पुष्टि करना बेहद जरूरी है।
डिजिटल अरेस्ट कर बुजुर्ग दंपति से ठगे 58 करोड़ रुपये, 7 अपराधी गिरफ्तार












