रांची: झारखंड में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण-2 के तहत करोड़ों रुपये के गड़बड़ी का मामला सामने आया है। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की विभागीय समीक्षा में खुलासा हुआ है कि वर्ष 2017 से 2019 के बीच आवंटित लगभग 30 करोड़ रुपये की राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) अब तक जमा नहीं किया गया है। इस बड़े वित्तीय अनियमितता की संभावना को देखते हुए विभाग ने ग्रामीण समितियों और स्वयं सहायता समूहों (SHG) के खिलाफ सर्टिफिकेट केस दर्ज कराया है।
सूत्रों के मुताबिक, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसे राज्य सरकारों की साझेदारी में लागू किया जा रहा है। नियमानुसार, शौचालय निर्माण पूरा होने के बाद संबंधित समितियों को उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) जमा करना अनिवार्य होता है। लेकिन पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रमंडलीय कार्यालयों को कई समितियों की ओर से यह प्रमाणपत्र नहीं दिया गया।
विभागीय समीक्षा के दौरान यह जानकारी पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री योगेंद्र प्रसाद को दी गई, जिसके बाद उन्होंने तत्काल जांच के आदेश जारी करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। मंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन के कार्यान्वयन में हो रही धीमी प्रगति पर भी नाराजगी जताई और सभी प्रमंडलीय पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि “या तो काम करें या पैसा लौटाएं।”
केंद्र सरकार ने रोका नया बजट आवंटन
जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत नए बजट आवंटन पर रोक लगा दी है क्योंकि झारखंड से पुराने आवंटन की उपयोगिता रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई। इससे राज्य में चल रहे कई ग्रामीण स्वच्छता प्रोजेक्ट प्रभावित हुए हैं।
दो माध्यमों से मिला था फंड
राज्य को दो स्रोतों से राशि प्राप्त हुई थी —
1. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण-2 के तहत ₹19.47 करोड़
2. वर्ल्ड बैंक सहयोग से अतिरिक्त बजट फंड के तहत ₹14 करोड़
इनमें से करीब 10 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र आज तक जमा नहीं हुए हैं। विभाग को संदेह है कि कई जगहों पर शौचालय निर्माण कार्य हुआ ही नहीं, फिर भी राशि खर्च दिखा दी गई है।
मिशन का उद्देश्य और मौजूदा स्थिति
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण-2 का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण इलाकों को खुले में शौच से मुक्त (ODF) बनाए रखना, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (SLWM) को मजबूत करना और गांवों को ODF-प्लस मॉडल में बदलना है। लेकिन मौजूदा अनियमितताओं और कार्यों की धीमी रफ्तार के चलते मिशन की प्रगति पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा है कि विभाग जल्द ही पूरे मामले की गहन जांच कराएगा और जिन अधिकारियों या समितियों की लापरवाही साबित होगी, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
झारखंड: स्वच्छ भारत मिशन में करोड़ों की वित्तीय अनियमितता, जांच के आदेश











