Chhath Sandhya Arghya: आस्था और श्रद्धा का महापर्व छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैय्या की उपासना के लिए समर्पित है। इस पर्व में महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। इसे हिंदू धर्म के सबसे कठिन और पवित्र व्रतों में गिना जाता है।
छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, इसके अगले दिन खरना का अनुष्ठान संपन्न होता है, जिसके बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास करती हैं। इस व्रत में सूर्य देव को दो बार अर्घ्य दिया जाता है। पहला संध्या अर्घ्य (डूबते सूर्य को) और दूसरा उषा अर्घ्य (उगते सूर्य को)।
आज संध्या अर्घ्य का मुहूर्त
तारीख: सोमवार, 27 अक्टूबर 2025
संध्या अर्घ्य का समय: शाम 4:50 मिनट से 5:41 मिनट तक
यह अर्घ्य कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को दिया जाता है।
संध्या अर्घ्य की विधि
1. व्रती बांस की टोकरी या सूप में ठेकुआ, चावल के लड्डू, गन्ना, नारियल, नींबू, केला, सेब आदि फल सजाते हैं।
2. नदी, तालाब या किसी जलाशय के किनारे कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्यास्त के समय अर्घ्य दिया जाता है।
3. अर्घ्य देते समय मुख पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए।
4. दूध और जल मिलाकर सूर्य देव को अर्पित करें, साथ में छठी मैया के लोकगीत या मंत्रों का जाप करें।
5. अर्घ्य देने के बाद सूर्य नमस्कार करें या तीन बार परिक्रमा करना शुभ माना जाता है।
6. अर्घ्य में इस्तेमाल जल में रोली, चंदन या लाल फूल मिलाना शुभ फलदायक होता है।
संध्या अर्घ्य का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
स्वास्थ्य और समृद्धि: संध्या अर्घ्य देने से व्रती को स्वास्थ्य, धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पापों का नाश: यह अनुष्ठान आत्मशुद्धि और पापों के निवारण का प्रतीक है।
जीवन के उतार-चढ़ाव का प्रतीक: डूबते सूर्य को अर्घ्य देना जीवन के कठिन समय को स्वीकारने और नए सवेरे की प्रतीक्षा का संदेश देता है।
प्रकृति के प्रति आभार: सूर्य देव को अर्घ्य देना धरती, जल, वायु और प्रकाश जैसी प्राकृतिक शक्तियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम है।
संतान की दीर्घायु: व्रती अपनी संतान के दीर्घ जीवन, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।
अगला चरण – उषा अर्घ्य
संध्या अर्घ्य के बाद अगले दिन यानी मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को उषा अर्घ्य दिया जाएगा। इसी के साथ 36 घंटे के निर्जला व्रत का पारण होता है।
Chhath Sandhya Arghya: आज छठ पूजा का संध्या अर्घ्य, जानें शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व











