नई दिल्ली: आवारा कुत्तों से जुड़े मामलों में लापरवाही बरतने पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को समन जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इन राज्यों ने पशु जन्म नियंत्रण नियमों के पालन से संबंधित शपथपत्र अब तक दाखिल नहीं किए हैं।
दरअसल, शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त 2025 को एक आदेश जारी कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे ABC नियमों के क्रियान्वयन की स्थिति पर शपथपत्र दाखिल करें। लेकिन, सोमवार को हुई सुनवाई में यह सामने आया कि केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम (MCD) ने ही अब तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की है।
जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजरिया की तीन सदस्यीय पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि बाकी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को अगले सोमवार (3 नवंबर) को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होना होगा और यह बताना होगा कि अब तक आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया।
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इन डिफॉल्ट करने वाले राज्यों की ओर से आज कोई प्रतिनिधि भी पेश नहीं हुआ। न्यायालय ने कहा, “हमने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किए थे और आदेश की जानकारी मीडिया व सोशल मीडिया में व्यापक रूप से प्रकाशित की गई थी। क्या आपके अधिकारी अखबार नहीं पढ़ते? जब आदेश की जानकारी है, तो कार्रवाई क्यों नहीं की गई?”
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार (NCT of Delhi) पर भी सख्त टिप्पणी की। अदालत ने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे से पूछा कि दिल्ली सरकार ने अब तक अपना शपथपत्र क्यों नहीं दाखिल किया। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर मुख्य सचिव स्पष्टीकरण नहीं देंगे, तो हर्जाना लगाया जाएगा और कठोर कार्रवाई की जाएगी।
न्यायालय ने यहां तक कहा कि यदि मुख्य सचिव 3 नवंबर को पेश नहीं होते हैं, तो “हम कोर्ट को ऑडिटोरियम में ही लगाएंगे और वहीं कार्यवाही करेंगे।”
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला स्वतः संज्ञान (suo motu cognisance) के रूप में 28 जुलाई को लिया था। अदालत ने ‘City hounded by strays and kids pay price’ शीर्षक वाली एक रिपोर्ट पर ध्यान दिया था, जिसमें बताया गया था कि देश के कई शहरों में आवारा और अवैक्सीनेटेड (टीकाकरण रहित) कुत्तों के काटने से नवजात, बच्चे और बुज़ुर्ग गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं और रेबीज जैसी घातक बीमारियों का शिकार बन रहे हैं।
अदालत ने कहा था कि यह न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य का गंभीर मुद्दा है, बल्कि राज्य सरकारों की जवाबदेही का भी प्रश्न है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब अगली सुनवाई 3 नवंबर 2025 को करेगी, जिसमें सभी मुख्य सचिवों की उपस्थिति अनिवार्य रहेगी।













