लातेहार: प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) को उस समय बड़ा झटका लगा, जब संगठन का एक लाख रुपये का इनामी हार्डकोर नक्सली आलोक यादव उर्फ चंद्रशेखर यादव ने गुरुवार को लातेहार एसपी कुमार गौरव के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण के दौरान उसने एक देसी कार्बाइन और चार जिंदा कारतूस भी पुलिस को सौंपे।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आलोक यादव झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण नीति ‘नई दिशा’ और सुरक्षा बलों के लगातार बढ़ते दबाव से प्रभावित होकर नक्सलवाद का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया।
35 संगीन मामलों में था वांछित
आलोक यादव पीएलएफआई संगठन का सक्रिय और हार्डकोर सदस्य रहा है। उसके खिलाफ लातेहार, चतरा और रांची जिले के विभिन्न थानों में हत्या, लेवी वसूली, हथियार रखने और नक्सली वारदातों से जुड़े कुल 35 गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, वह पहले भी जेल जा चुका है, लेकिन रिहा होने के बाद दोबारा संगठन से जुड़कर लातेहार क्षेत्र में कई नक्सली घटनाओं को अंजाम देता रहा।
‘नई दिशा’ नीति से बदली सोच
पुलिस का कहना है कि सरकार की पुनर्वास एवं आत्मसमर्पण नीति के तहत मिलने वाली सुविधाएं, सुरक्षा की गारंटी और सम्मानजनक जीवन की संभावना ने आलोक यादव की सोच बदलने में अहम भूमिका निभाई। आत्मसमर्पण के बाद आगे की कानूनी प्रक्रिया के साथ उसे नीति के तहत लाभ दिलाने की कार्रवाई की जाएगी।
मार्च 2026 तक नक्सलमुक्त क्षेत्र का लक्ष्य
इस अवसर पर एसपी कुमार गौरव ने क्षेत्र में सक्रिय अन्य नक्सलियों से भी हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण करने की अपील की। उन्होंने कहा कि मार्च 2026 तक पूरे क्षेत्र को नक्सलमुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे लेकर पुलिस और सुरक्षा बल पूरी मुस्तैदी से अभियान चला रहे हैं।
एसपी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि नक्सलियों के पास अब भी आत्मसमर्पण का अवसर है, लेकिन जो लोग हिंसा और कानून विरोधी गतिविधियों पर कायम रहेंगे, उनके खिलाफ सख्त और निर्णायक कार्रवाई की जाएगी।
लातेहार: PLFI के इनामी नक्सली आलोक यादव ने किया सरेंडर, 35 से अधिक मामले हैं दर्ज














