अयोध्या: राम की नगरी अयोध्या एक बार फिर भक्ति, आस्था और भव्यता की साक्षी बनने जा रही है। रामलला मंदिर परिसर में शीघ्र ही एक अत्यंत भव्य और अनोखी प्रतिमा की स्थापना की तैयारी है, जो अपनी दिव्य आभा और शिल्पकला के कारण देशभर में आकर्षण का केंद्र बनेगी। यह प्रतिमा कर्नाटक के एक गुमनाम रामभक्त द्वारा दान की गई है, जिसने अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं की है।

मंगलवार की शाम विशेष सुरक्षा व्यवस्था के बीच यह प्रतिमा एक विशेष वैन के माध्यम से कर्नाटक से अयोध्या लाई गई। जैसे ही प्रतिमा के अयोध्या पहुंचने की सूचना मिली, श्रद्धालुओं और मंदिर प्रशासन में उत्सुकता बढ़ गई। बताया जा रहा है कि यह प्रतिमा सोने जैसी चमक लिए हुए है और इसमें हीरा, पन्ना सहित कई कीमती रत्न जड़े हुए हैं, जो इसे और भी विशिष्ट बनाते हैं।
करीब 10 फीट ऊंची और 8 फीट चौड़ी इस प्रतिमा की अनुमानित कीमत 25 से 30 करोड़ रुपये बताई जा रही है। प्रतिमा का निर्माण दक्षिण भारतीय शिल्पकला की परंपरागत शैली में किया गया है, जिसमें बारीक नक्काशी और उत्कृष्ट कारीगरी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। शिल्पकारों ने इसे महीनों की मेहनत और विशेष तकनीक के साथ तैयार किया है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रतिमा भेजने वाले भक्त की पुष्टि की प्रक्रिया चल रही है। साथ ही प्रतिमा के वजन का आकलन भी किया जा रहा है। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार प्रतिमा का वजन लगभग 5 क्विंटल हो सकता है।
प्रतिमा की स्थापना को लेकर भी मंथन जारी है। सूत्रों के अनुसार, इसे संत तुलसीदास मंदिर के समीप स्थित अंगद टीला पर स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है। स्थापना से पूर्व प्रतिमा का भव्य अनावरण किया जाएगा, जिसके बाद विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न होगी। इस विशेष अवसर पर देशभर से संतों, महंतों और धर्माचार्यों को आमंत्रित करने की योजना है।
अयोध्या में इस दिव्य प्रतिमा की स्थापना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, बल्कि यह श्रद्धालुओं के लिए एक नया आध्यात्मिक आकर्षण भी बनेगी। रामभक्ति, कला और संस्कृति का यह अद्भुत संगम अयोध्या की गौरवशाली पहचान को और अधिक सशक्त करेगा।














