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दुमका: 9 मई 2025 को झारखंड की जेएमएम पार्टी के द्वारा आदिवासियों की वर्षों पुरानी मांग सरना धर्म कोड को लेकर सभी जिला मुख्यालयों में धरना प्रदर्शन हो रहा है। उनका कहना है कि सरना आदिवासी धर्म कोड के बिना जातीय जनगणना नहीं होने देंगे। जहां तक जातीय जनगणना की बात है, तो केन्द्र सरकार से भारत के लगभग सभी विपक्षी (राष्ट्रीय और क्षेत्रीय) पार्टियों ने मांग किया था, झारखंड की जेएमएम पार्टी और यहां तक सरकार के सहयोगी नीतीश, नायडू ने भी इस मांग का समर्थन किया था।इस लिहाज से जेएमएम पार्टी के द्वारा जातीय जनगणना का विरोध सही नहीं है। दूसरी तरफ सरना आदिवासी धर्म कोड के लिए जेएमएम पार्टी का आन्दोलन आदिवासी समाज को दिग्भ्रमित करने के लिए एक नौटंकी है।


1.चूंकि जेएमएम पार्टी की सरकार ने 11 नंबर 2020 को झारखंड केबिनेट में एक विशेष बैठक बुलाकर  आदिवासियों की वर्षों पुरानी मांग सरना धर्म कोड पर विचार करते हुए *सरना धर्म कोड* की जगह सरना आदिवासी धर्म कोड पारित किया और राज्यपाल झारखंड के बिना सहमति अनुशंसा के ही केन्द्र को भेज दिया।जो असंवैधानिक है, अभी भी सरना धर्म कोड की जगह सरना आदिवासी धर्म कोड की मांग कर रहे हैं।ये दो नाम जोड़ कर लोगों को और केंद्र सरकार को भी दिग्भ्रमित कर रहे हैं। भारत देश में लगभग 15 करोड़ आदिवासी हैं जो अधिकांश आदिवासी प्राकृति पूजक हैं इन लोगों ने लंबे समय तक सरना धर्म कोड के लिए आन्दोलन किया है, भारत बंद किया, लेकिन झारखण्ड की जेएमएम पार्टी ने कभी नैतिक समर्थन तक नहीं दिया है।

2. झारखण्ड के गिरिडीह जिले में स्थित आदिवासियों का पवित्र धार्मिक स्थल मरांग बुरू (पारसनाथ पहाड़) जो प्राकृति पूजक आदिवासियों का सबसे बड़ा पवित्र धार्मिक पूजा स्थल(आदिवासियों के ईष्ट देव) है को झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने 5 जनवरी 2023 को लिखित रूप से जैनों को सौंपा है।जो प्राकृति पूजक आदिवासियों के साथ एक बड़ा धोखा किया है। वो अब आदिवासियों के लिए सरना आदिवासी धर्म कोड के लिए आन्दोलन कर रहे है। ये भारत देश के लगभग 15 करोड़ आदिवासी जो अधिकांश आदिवासी प्राकृति पूजक हैं उनके साथ धोखा है।


यदि जेएमएम पार्टी सही में आदिवासी हितैषी पार्टी कहती है तो पहले
1. गिरिडीह जिले में स्थित आदिवासियों के सबसे बड़ा पवित्र धार्मिक पूजा स्थल मरांग बुरू (पारसनाथ पहाड़) को लिखित रूप से आदिवासियों को वापस करें।
2.  तथा प्राकृति पूजक आदिवासियों के लिए सरना आदिवासी धर्म कोड की जगह सरना धर्म कोड की मांग करें।
3. राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सबसे बड़ी आदिवासी भाषा संताली भाषा को आदिवासी बहुल प्रदेश झारखंड में अनुच्छेद 345 के तहत प्रथम राजभाषा का दर्जा दें।
4. झारखण्ड में अविलंब झारखंडी स्थानीय नीति (प्रखंड वार नियोजन नीति)लागू करें, और शिक्षित बेरोजगार नवयुवकों को नौकरी दें।वरना आदिवासियों को दिग्भ्रमित करना बंद करें।