जमशेदपुर: हो समाज भवन,गोलमुरी में लाको बोदरा जी की 39वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा
उन्होंने हो भाषा और ‘वारांग चिती’ लिपि के प्रचार-प्रसार को निरंतर जारी रखने का सुझाव दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि भाषा और लिपि के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए युवाओं को सक्रिय रूप से आगे आना चाहिए, ताकि हमारा साहित्य और सांस्कृतिक विरासत समृद्ध हो सके। लाको बोदरा जी द्वारा विकसित ‘वारांग चिती’ लिपि आज भी आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। सभा में उपस्थित समाज के लोगों ने लाको बोदरा जी की स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने का संकल्प लिया।
वीर सिंह बिरुली, रवि सवैया, पूरन हेंब्रम, डेविड सिंह बनरा, राकेश उरांव, शंभू मुखी, नंदलाल पातर, कार्तिक उरांव, विजय बारी, एवं अन्य उपस्थित थे।
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