---Advertisement---

झारखंड के इस गाँव में आज भी मरीज को खटिया पर ढोना मजबूरी

On: July 16, 2025 3:53 PM
---Advertisement---


पाकुड़ के बड़ा बासको गाँव में अब तक नहीं पहुंची पक्की सड़क, बरसात में बढ़ती है ग्रामीणों की पीड़ा

झारखंड वार्ता

पाकुड़ (अमड़ापाड़ा)। झारखंड सरकार के विकास के दावों के बीच आज भी कई ऐसे गांव हैं जहाँ बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। अमड़ापाड़ा प्रखंड के डुमरचिर पंचायत अंतर्गत बड़ा बासको गांव इसका एक जीता-जागता उदाहरण है, जहाँ आज भी मरीजों को खटिया पर लाद कर अस्पताल ले जाना ग्रामीणों की मजबूरी है।

आज तक नहीं बनी सड़क, जोखिम भरा है सफर

गाँव तक अब तक पक्की सड़क नहीं बन पाई, जिससे लोगों को हर बार करीब दो किलोमीटर कच्चे, पथरीले और जंगल से गुजरने वाले रास्ते से गुजरकर मुख्य सड़क तक पहुँचना पड़ता है।

हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें दो ग्रामीण एक बीमार व्यक्ति को खटिया पर लिटाकर ऊबड़-खाबड़ रास्ते से ले जाते नजर आए ताकि उसे वाहन से अस्पताल तक पहुँचाया जा सके।

एम्बुलेंस भी नहीं पहुँच पाती

गांव में सड़क नहीं होने की वजह से एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध नहीं हो पाती, जिससे हर आपात स्थिति में यही पीड़ादायक तरीका अपनाना पड़ता है। बरसात के मौसम में यह रास्ता और भी जानलेवा हो जाता है।

कई बार की गई गुहार, पर नहीं सुनवाई

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन से सड़क निर्माण की मांग की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।


यह सिर्फ बड़ा बासको गाँव की कहानी नहीं है, बल्कि झारखंड के सैकड़ों ग्रामीण इलाकों की हकीकत है जहाँ विकास अब भी दस्तक नहीं दे पाया है।

प्रशासन सुन रहा है या नहीं?

अब बड़ा सवाल है कि क्या प्रशासन इस दर्द को सुनेगा? क्या इन गाँवों को भी पक्की सड़क की सौगात मिल पाएगी? या फिर यह ग्रामीण वर्षों तक इसी तरह संघर्ष और उपेक्षा का शिकार होते रहेंगे?

Shubham Jaiswal

“मैं शुभम जायसवाल, बीते आठ वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने विभिन्न प्रतिष्ठित अखबारों और समाचार चैनलों में प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले पाँच वर्षों से मैं साप्ताहिक अखबार ‘झारखंड वार्ता’ से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ। पत्रकारिता मेरे लिए केवल पेशा नहीं बल्कि समाज और जनता के प्रति एक जिम्मेदारी है, जहाँ मेरी कलम हमेशा सच और न्याय के पक्ष में चलती है।

Join WhatsApp

Join Now