चेतेश्वर पुजारा ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से लिया संन्यास, 20 साल का शानदार सफर हुआ समाप्त

On: August 24, 2025 12:24 PM

---Advertisement---
Cheteshwar Pujara Retires: भारतीय क्रिकेट के भरोसेमंद बल्लेबाज और ‘दीवार’ कहे जाने वाले चेतेश्वर पुजारा ने आखिरकार क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा कर दी। पुजारा ने यह ऐलान अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर किया। उन्होंने भावुक पोस्ट लिखते हुए कहा कि “भारत की जर्सी पहनना, राष्ट्रगान गाना और मैदान पर टीम के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देना मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि रही। लेकिन हर अच्छी चीज का अंत आता है और मैंने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से रिटायर होने का फैसला लिया है।”
20 साल लंबा सफर, 13 साल इंटरनेशनल क्रिकेट में
पुजारा का क्रिकेटिंग सफर दो दशक लंबा रहा। उन्होंने घरेलू क्रिकेट में 2005 में डेब्यू किया था, जब सौराष्ट्र और विदर्भ के बीच खेले गए फर्स्ट क्लास मैच में उन्होंने पहली बार बल्ला उठाया। दिलचस्प बात यह है कि उनका आखिरी मुकाबला भी एक फर्स्ट क्लास मैच ही रहा, जो उन्होंने फरवरी 2025 में गुजरात के खिलाफ खेला।
लिस्ट-ए क्रिकेट में उन्होंने 2006 में कदम रखा, जबकि 2010 में बेंगलुरु टेस्ट (ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ) उन्होंने टीम इंडिया की जर्सी पहनी। पुजारा का वनडे डेब्यू 2013 में जिम्बाब्वे के खिलाफ बुलावायो में हुआ था, लेकिन वह प्रारूप ज्यादा लंबा नहीं चला।
इंटरनेशनल करियर
चेतेश्वर पुजारा ने भारत के लिए 103 टेस्ट और 5 वनडे मैच खेले।
टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 7200 से ज्यादा रन बनाए, जिसमें 19 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं।
उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर नाबाद 206 रन रहा।
वनडे में उन्हें केवल 5 मौके मिले, लेकिन उनका करियर सीमित ओवरों में लंबा नहीं चला।
उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट जून 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला।
घरेलू करियर में दबदबा
फर्स्ट क्लास: 278 मैच, 21301 रन, 66 शतक
लिस्ट ए: 130 मैच, 5759 रन, 16 शतक
टी20: 71 मैच, 1556 रन, 1 शतक
भारत के लिए ‘दीवार’ बने पुजारा
पुजारा का नाम भारतीय क्रिकेट में उनकी दृढ़ता और धैर्य भरी बल्लेबाजी के लिए हमेशा याद किया जाएगा। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीमों के खिलाफ उन्होंने कई बार भारतीय पारी को थामे रखा। विशेषकर 2018-19 ऑस्ट्रेलिया दौरे में उनकी शतकीय पारियों ने भारत को ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जिताने में अहम भूमिका निभाई।
चेतेश्वर पुजारा भले ही अब क्रिकेट के मैदान पर नजर न आएं, लेकिन भारतीय क्रिकेट में उनकी ‘दीवार’ जैसी छवि हमेशा कायम रहेगी।