रांची: विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह के अवसर पर दिल्ली पब्लिक स्कूल, रांची में शिक्षकों के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला टेली-मानस के सहयोग से आयोजित हुई जो भारत सरकार की 24×7 मानसिक स्वास्थ्य सुविधा है और जिसका उद्देश्य राष्ट्रभर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की सहज उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
कार्यशाला का उद्देश्य
इस पहल का मुख्य मकसद शिक्षकों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के प्रति जागरूक बनाना और उन्हें छात्रों की मदद के लिए आवश्यक ज्ञान व रणनीतियों से सशक्त करना था।
विशेषज्ञों की मौजूदगी
कार्यशाला में रिसोर्स पर्सन के रूप में डॉ. प्रीथा रॉय (वरिष्ठ परामर्शदाता मनोचिकित्सक, टेली-मानस, मेंटरिंग इंस्टीट्यूट, सीआईपी, रांची), सुश्री झिमली चटर्जी (मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, टेली-मानस, राज्य सेल, झारखंड) उपस्थित रहीं। साथ ही, स्कूल की काउंसलर सुश्री राधिका एल. टक और सुश्री निशा मिश्रा ने भी अपने अनुभव साझा कर चर्चा को समृद्ध बनाया।

सत्र अत्यंत ज्ञानवर्धक और सहभागितापूर्ण रहा, जिसमें निम्न विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई—
• बच्चों और वयस्कों में मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक
• भावनात्मक ट्रिगर्स की पहचान
• छात्रों, सहकर्मियों और स्वयं की भावनात्मक भलाई को बढ़ाने की रणनीतियाँ
• आत्महत्या के चेतावनी संकेतों की पहचान
• मानसिक स्वास्थ्य सहयोग सेवाओं की जानकारी और उनका उपयोग
कार्यशाला में केस स्टडी भी प्रस्तुत किए गए, जिनसे मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा के नकारात्मक परिणामों पर प्रकाश डाला गया। साथ ही, शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु भावनात्मक भलाई से जुड़ी गतिविधियाँ भी कराई गईं।

इस अवसर पर डीपीएस रांची की प्राचार्या डॉ. जया चौहान ने कहा, “मानसिक स्वास्थ्य हमारे संपूर्ण कल्याण का अभिन्न हिस्सा है, फिर भी अक्सर इसे नज़रअंदाज़ या गलत समझा जाता है। शिक्षक होने के नाते हमारी ज़िम्मेदारी केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं है, बल्कि हमें भावनात्मक रूप से संतुलित और आत्मविश्वासी व्यक्तित्व का निर्माण भी करना होता है। टेली-मानस के सहयोग से आयोजित यह कार्यशाला शिक्षकों को छात्रों में परेशानी के सूक्ष्म संकेत पहचानने और उन्हें सहयोग देने का सही दृष्टिकोण प्रदान करती है।”

उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में बच्चे बहुत कम उम्र से ही तनाव और दबाव का सामना करने लगते हैं, ऐसे में आवश्यक है कि कक्षाओं में एक सुरक्षित, सहानुभूतिपूर्ण और सहयोगात्मक वातावरण तैयार किया जाए।
डॉ. चौहान ने सभी शिक्षकों से आग्रह किया कि वे इस सीख को आगे बढ़ाएँ और सुनिश्चित करें कि डीपीएस रांची का प्रत्येक बच्चा मानसिक रूप से स्वस्थ और समर्थ महसूस करें।