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हत्या के दोषी को सजा नहीं, पौधे लगाने का आदेश; एमपी हाईकोर्ट का अनोखा फैसला

On: September 21, 2025 3:41 PM
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भोपाल: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हत्या के एक दोषी को जेल से रिहाई की अनुमति देते हुए ऐसा आदेश दिया है, जो न केवल अनोखा है बल्कि समाज और पर्यावरण दोनों के लिए प्रेरणादायी भी है। अदालत ने दोषी को निर्देश दिया है कि वह नीम, पीपल या फलदार वृक्षों के कम से कम 10 पौधे लगाए और उनकी नियमित देखभाल करे।

मामला क्या है?

यह मामला महेश शर्मा नामक व्यक्ति से जुड़ा है, जिसे 2021 में हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। शर्मा ने सजा निलंबन और जमानत की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अपनी याचिका में उसने प्रस्ताव रखा था कि अगर उसे रिहाई मिलती है, तो वह समाज, राष्ट्र या पर्यावरण से जुड़ी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए तैयार है।

अदालत का निर्णय

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति आनन्द पाठक और न्यायमूर्ति पुष्पेन्द्र यादव शामिल थे, ने पाया कि शर्मा अब तक लगभग 10 साल 8 महीने जेल में बिता चुका है। अदालत ने उसे 50,000 रुपये के निजी मुचलके और दो सक्षम जमानतदारों से समान राशि के बांड पर रिहाई की अनुमति दी।

इसके साथ ही विशेष शर्त लगाई गई कि दोषी रिहाई के 30 दिनों के भीतर कम से कम 10 पौधे लगाएगा। पौधे 3-4 फीट गहरे गड्ढों में लगाए जाएंगे और उनकी देखभाल करना दोषी की जिम्मेदारी होगी। लगाए गए पौधों की तस्वीरें अदालत में प्रस्तुत करनी होंगी और ट्रायल कोर्ट को नियमित निगरानी करने का निर्देश दिया गया है। यदि देखभाल में लापरवाही पाई गई, तो अदालत सख्त कार्रवाई कर सकती है।

फैसले के पीछे सोच

बेंच ने अपने आदेश में कहा कि यह केवल पौधे लगाने का आदेश नहीं है, बल्कि यह “एक सोच बोने” जैसा है। इसका उद्देश्य दोषी को जीवन की अहमियत समझाना और हिंसा की प्रवृत्ति से दूर कर सकारात्मक दिशा में प्रेरित करना है। अदालत ने साफ कहा कि वर्तमान समय में समाज को करुणा, सेवा, दया और प्रेम जैसे मूल्यों की सबसे ज्यादा जरूरत है।

पर्यावरणीय संदेश भी

फैसले में यह भी रेखांकित किया गया कि आज पर्यावरणीय संकट एक गंभीर चुनौती है और हर नागरिक का दायित्व है कि वह प्रकृति के संरक्षण में योगदान दे। इस तरह अदालत का यह कदम न केवल अपराधी के सुधार की दिशा में अहम साबित होगा बल्कि समाज को भी सकारात्मक संदेश देगा।

मानवीय और सुधारात्मक दृष्टिकोण

यह फैसला भारतीय न्यायपालिका के मानवीय और सुधारात्मक दृष्टिकोण को उजागर करता है। इसमें केवल दंड पर जोर नहीं दिया गया, बल्कि दोषी के नैतिक और सामाजिक सुधार की ओर ध्यान केंद्रित किया गया है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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