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सूख रही गंगा नदी! 1300 साल के रिकॉर्ड में गंगा के प्रवाह में भयावह गिरावट

On: September 27, 2025 11:20 AM
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नई दिल्ली: भारत और बांग्लादेश की करोड़ों आबादी की जीवनरेखा कही जाने वाली गंगा नदी इस समय अपने इतिहास के सबसे गंभीर सूखे दौर का सामना कर रही है। यह खुलासा आईआईटी गांधीनगर और यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के शोधकर्ताओं की ताजा स्टडी में हुआ है। अध्ययन के मुताबिक, पिछले 1300 सालों में गंगा के प्रवाह में इतनी भयावह गिरावट कभी दर्ज नहीं की गई।

1300 साल का रिकॉर्ड टूटा

शोधकर्ताओं ने गंगा के प्रवाह का आकलन करने के लिए 1300 साल पुराने आंकड़ों और आधुनिक मॉडलों का विश्लेषण किया। इसमें पाया गया कि 1990 के दशक से गंगा का फ्लो लगातार घट रहा है और यह गिरावट पहले की तुलना में कहीं तेज़ है।

स्टडी के अनुसार:

1991 से 1997 और 2004 से 2010 के बीच गंगा बेसिन को दो बड़े सूखे का सामना करना पड़ा।

2004-2010 का सूखा सबसे गंभीर था।

पिछले 30 सालों की गिरावट ने 1300 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।


वजह: बढ़ता तापमान और कमजोर मानसून

शोध में सामने आया है कि जलवायु परिवर्तन, बढ़ती गर्मी और कमजोर मानसून ने गंगा की हालत को और बिगाड़ दिया है।

मानसून की बारिश में लगभग 10% की कमी आई है।

पश्चिमी इलाकों में बारिश की कमी 30% से ज्यादा दर्ज की गई।

इसके अलावा अत्यधिक भूजल दोहन और मानवीय हस्तक्षेप ने गंगा के प्राकृतिक प्रवाह को और कमजोर किया।

भविष्य में और गहराएगा संकट

अध्ययन चेतावनी देता है कि यदि बारिश में कमी और तापमान में बढ़ोतरी साथ-साथ जारी रही तो आने वाले दशकों में गंगा का प्रवाह 5% से 35% तक घट सकता है।
इसका सीधा असर पड़ेगा:

• पेयजल आपूर्ति

• सिंचाई

• बिजली उत्पादन

• जल परिवहन


2015-2017 के बीच गंगा में पानी की कमी ने ही 12 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रभावित किया था।

समुद्री इकोसिस्टम पर भी खतरा

गंगा के घटते ताजे पानी के प्रवाह से बंगाल की खाड़ी में पोषक तत्वों की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। इसका असर दुनिया के सबसे समृद्ध समुद्री इकोसिस्टम पर पड़ रहा है, जो मछलियों और अन्य समुद्री जीवों के लिए जीवनदायिनी भूमिका निभाता है।

समाधान क्या?

शोधकर्ता मानते हैं कि गंगा बेसिन की जल सुरक्षा इस बात पर निर्भर करेगी कि जलवायु विज्ञान, सरकारी नीतियां और स्थानीय स्तर पर जल प्रबंधन कितनी प्रभावी ढंग से लागू किए जाते हैं।

• भूजल का सतत प्रबंधन

• बेहतर मानसून पूर्वानुमान

• जल संरक्षण के स्थानीय प्रयास

इनके बिना गंगा की सूखापन की समस्या को काबू में लाना लगभग असंभव होगा।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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