कोडरमा: पुलिस लाइन से एक सनसनी खेज खबर आ रही है। जहां ड्राइवर मंसूर आलम के द्वारा बुधवार की रात सुसाइड की खबर है।मंसूर ने मौत से ठीक पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया। इस वीडियो में उन्होंने साफ-साफ दो थाना प्रभारियों के नाम लिए… जयनगर थानेदार और डोमचांच थानेदार। उनका आरोप था कि इन्हीं अधिकारियों के दबाव और झूठे कारणों से उन्हें निलंबित कराया गया। वीडियो में मंसूर की आवाज़ टूटी हुई थी, लेकिन शब्द बेहद साफ थे… “मेरी मौत के जिम्मेदार यही जैसे ही मंसूर की मौत की खबर बैरक में पहुंची।मृतक के स्वजनों ने निष्पक्ष जांच और आरोपित पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है।
इस पर एसपी अनुदीप सिंह ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी और इसमें जो लोग भी दोषी पाए जाएंगे उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि मंसूर आलम ने मंगलवार को आत्महत्या के उद्देश्य से सल्फास की गोली खाली थी, इलाज के दौरान रिम्स में बुधवार को उसकी मौत हो गई थी।
वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस मेन्स एसोसिएशन और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने घटना को साजिश बताया और निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
इधर मृतक की पत्नी ने भी निलंबन के बाद वेतन रोके जाने से आर्थिक संकट और तनाव को उसकी आत्महत्या का कारण बताया।
उन्होंने भी इस संबंध में रांची के बरियातू पुलिस को दिए अपने फर्द बयान में जयनगर थाना प्रभारी बबलू सिंह, डोमचांच थाना प्रभारी ओम प्रकाश यादव व अन्य पर उनके पति को प्रताड़ित करने और आत्महत्या के लिए विवश करने का आरोप लगाया है।
इधर खबर है कि कोडरमा जिले के चंदवारा स्थित पुलिस लाइन में सल्फास खाकर आत्महत्या करने वाले पुलिस चालक मंसूर आलम का शव गुरुवार को चंदवारा पुलिस लाइन लाया गया।
एसपी अनुदीप सिंह, मुख्यालय डीएसपी रतिभान सिंह, एसडीपीओ अनिल कुमार सिंह समेत अधिकारियों व जवानों ने उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दी। चालक तीन माह से निलंबित था। आरोप है कि ड्यूटी के दौरान शराब सेवन और लापरवाही के कारण उसे निलंबित किया गया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक मरने के पहलेएक साथी का फोन उठाकर उसकी डरी–सहमी आवाज में कही गई बात ने बैरक के जवानों को हिला दिया। मंसूर ने साथियों को खुद बता दिया था कि उसने ज़िंदगी खत्म करने का कदम उठा लिया है। साथी दौड़े, अस्पताल ले गए, रांची तक पहुंचाया, लेकिन ज़िंदगी के लिये मौत से जंग मंसूर हार गया।
बताया जा रहा है कि मंसूर आलम का पिछले कुछ महीनों से पुलिस विभाग के साथ रिश्ता सहज नहीं रहा। वे पिछले तीन महीनों से निलंबित थे। चार महीने के भीतर दो बार निलंबन का आदेश उनके खिलाफ आया। विभागीय जांच कहती है कि वे ड्यूटी के दौरान शराब पीते थे, लापरवाही बरतते थे। यही कारण था कि उन पर कार्रवाई हुई।
उनकी मौत की खबर से साथ में काम करने वाले जवानों की आंखें भर आईं। कई साथी चुपचाप दीवार से टिके रहे। यह वही जवान थे, जिनके साथ मंसूर ने वक्त गुजारा था। लेकिन अब सवाल उनके दिल में भी उठ रहे हैं कि अगर शिकायतें थीं, तो क्या सुधार की कोशिशें की गईं? क्या विभागीय कार्रवाई के साथ मनोवैज्ञानिक सहारा भी जरूरी नहीं था?
मुख्यालय डीएसपी रतिभान सिंह का कहना है कि मंसूर आलम पर गंभीर शिकायतें थीं। जांच में यह पाया गया था कि वे शराब पीकर ड्यूटी करते थे और लापरवाही बरतते थे। इसी कारण उन्हें निलंबित किया गया था। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आत्महत्या और लगाए गए आरोपों की गहन जांच की जा रही है।