जलीय जीवों और पर्यावरण पर मंडराया बड़ा खतरा, धरती के जलस्त्रोतों में तेजी से कम हो रहा ऑक्सीजन

On: July 23, 2024 9:26 AM

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एजेंसी: वैज्ञानिकों के मुताबिक दुनिया के महासागरों, नदियों, झील, तालाब और झरनों जैसे जलस्रोतों के पानी में मौजूद ऑक्सीजन तेजी से कम हो रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ऐसा होता रहा तो दुनिया के जीवन पर ये बात सबसे बड़ा खतरा बन जाएगी। 1980 के बाद से झीलों और जलाशयों में क्रमशः 5.5% और 18.6% ऑक्सीजन की कमी हुई है। 1960 के बाद से महासागर में लगभग 2% ऑक्सीजन की कमी हुई है। हालांकि यह संख्या छोटी लगती है, लेकिन महासागर के बड़े आयतन के कारण यह ऑक्सीजन की बड़ी मात्रा की हानि को दर्शाती है। ऑक्सीजन रहित क्षेत्रों में माइक्रोबायोटिक प्रक्रियाओं के कारण नाइट्रस ऑक्साइड और मीथेन जैसी शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसें भी उत्पन्न होती हैं, जो वैश्विक तापमान में और वृद्धि कर सकती हैं और इस प्रकार ऑक्सीजन की कमी का एक प्रमुख कारण बन सकती हैं।
जिस तरह थलीय जीवों को सांस लेने के लिए हवा में मौजूद ऑक्सीजन जरूरी है, उसी तरह जलीय जीवों (मीठे पानी या खारे पानी के) को पानी में मौजूद ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। यह शोध ‘नेचर इकोलॉजी एंड एवॉल्यूशन’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं के अनुसार, पानी में ऑक्सीजन की कमी से न सिर्फ समुद्री जीव प्रभावित होंगे, बल्कि पर्यावरण का संतुलन भी गड़बड़ाएगा। जलवायु परिवर्तन और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ने से हवा और पानी का तापमान औसत से ज्यादा बढ़ रहा है, जिससे सतही पानी ऑक्सीजन को संभाल नहीं पा रहा। ऑक्सीजन के घटते स्तर का कारण कृषि और घरेलू उर्वरकों, सीवेज और औद्योगिक कचरों का भी खासा योगदान है, जो जल में घुली हुई ऑक्सीजन को सोख ले रहे हैं।
पृथ्वी ग्रह पर जीवन के लिए ऑक्सीजन एक मूलभूत आवश्यकता है। पानी में ऑक्सीजन की कमी, जिसे जलीय ऑक्सीजन विहीनता भी कहा जाता है, सभी स्तरों पर जीवन के लिए खतरा है। शोधकर्ताओं की टीम बताती है कि कैसे निरंतर ऑक्सीजन विहीनता समाज के बड़े हिस्से की आजीविका और हमारे ग्रह पर जीवन की स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा प्रस्तुत कर रही है।