गढ़वा विधानसभा 2024 के चुनाव पर एक नज़र, वर्तमान एवं पूर्व विधायकों के साथ अजय मेटल भी ठोक रहे हैं ताल।

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Pintu Kumar

गढ़वा: ज़िला मुख्यालय के साथ साथ झारखंड के सबसे हॉट सीट माने जाने वाले गढ़वा रंका विधानसभा क्षेत्र में 2024 के चुनाव को लेकर राजनीति सरगर्मी काफ़ी तेज़ हो गई है। कई मीडिया के पब्लिक ओपेनियन के अनुसार हर चौक चौराहे पर जनताओं के बीच यही चर्चा हो रही है।

विधानसभा–80 के चार प्रत्याशी प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं वर्तमान झारखंड झामुमो सरकार मे पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर, भाजपा के पूर्व विधायक सत्येन्द्रनाथ तिवारी राजद से पूर्व मंत्री गिरिनाथ सिंह के साथ साथ बसपा के युवा एवं जुझारु प्रत्याशी अजय कुमार चौधरी उर्फ अजय मेटल ने पहली बार चुनाव मैदान में आकर सभी को लोहा मनवा दिया है। वहीं पांचवे प्रत्याशी दूसरी बार ओवैसी के पार्टी एआईएमआईएम की ओर से डॉक्टर एमएन खान गेम चेंजर हो सकते हैं। उनकी सक्रीयता की बात करें तो 2019 के चुनाव में भी गढ़वा विधानसभा चुनाव अपना क़िस्मत अजमा चुके हैं पर कोई ख़ास परफॉर्मेंस से किसी प्रत्याशी को प्रभावित नहीं कर सकें।

2019 के चुनाव में डॉक्टर खान महज़ 6231वोट लाकर पांचवे पायदान पर सिमट गए थे। 2024 विधानसभा चुनाव में डॉक्टर एम एन खान अपने हिसाब से अलग तरीके से क्षेत्र में जनसमपर्क करते दिख रहे है गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में एआईएमआईएम पार्टी के मुस्लिम समुदाय के क़रीब 15% वोट के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग तथा एससी वर्ग कुछ वोटो का तड़का लगाकर कितना अपने पाले में कर पाते हैं देखना दिलचस्प होगा कि डॉक्टर खान की कोशिश आनेवाले विधानसभा चुनाव मे किसे कितना प्रभावित कर पाते हैं वक्त बताएगा।

राजनीतिक पार्टी से जुड़े नेता चुनाव मैदान में काफ़ी सक्रीय दिख रहे हैं जिसमें बसपा नेता सह विधायक प्रत्याशी अजय कुमार चौधरी उर्फ अजय मेटल का नाम शामिल हैं। 2019 में बसपा की सक्रियता का सवाल रही तो कुछ विशेष नहीं रहा था। फिर भी बतौर प्रत्याशी वीरेंद्र प्रसाद साव ने 10638 मत लाकर साबित कर दिया था कि बसपा की राजनीतिक जमीन गढ़वा रंका विधानसभा क्षेत्र मे इसे नकारा नहीं जा सकता।

तात्पर्य यह है कि बहुजन समाज पार्टी की गढ़वा विधानसभा चुनाव क्षेत्र मे विशेष राजनीति पहचान है हालाकि बसपा मे अब तक सर्वाधिक मत 2005 के चुनाव मे 18 हज़ार से अधिक मत लाकर डॉक्टर अनिल साव सब को चौका दिया था। पर उसके बाद डॉक्टर श्री साव ने दुबारा चुनाव नही लड़े। दरअसल बसपा का चुनाव चिन्ह हाथी छाप है का गढ़वा विधानसभा क्षेत्र मे एक खास जाती बहन मायावती से सीधा संपर्क के कारण विशेष पहचान रही है।

वैसे भी इसे नही भुलना चाहिए की पलामू जिले के हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र से शिवपूजन मेहता 2014 का चुनाव जीतकर झारखंड विधानसभा क्षेत्र मे प्रतिनिधित्व कर चूके है तथा विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र से 2019के चुनाव में राजन मेहता महज़ मतों से रनर अप रह चुके हैं रही बात गढ़वा विधानसभा में वर्तमान विधायक तथा पूर्व विधायक की सक्रियता का तो सभी अपने अपने हिसाब से दम खम के साथ क्षैत्र में सक्रीय दिख रहे हैं। बहुजन समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अजय मेटल ने लगातार क्षेत्र मे बदलाव यात्रा सह जनसंपर्क अभियान मे लगे है तथा अपनी कोशिश पार्टी के ट्रेडिशनल व कैडर वोट के आधार पर खुद की निषाद जातियों के समीकरण गढ़कर बैठाने की प्रयास कर रहे हैं।

श्री मेटल ने 2022 के पंचायती राज चुनाव मे बतौर ज़िला परिषद्,डंडा जीतने के बाद बसपा ज्वाइन कर लगातार फील्ड में बने हैं। तथा आगामी विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही पूरी तरह से सक्रीय दिख रहे हैं। श्री मेटल के अथक प्रयास आने वाला विधानसभा चुनाव मे उन्हे जीत दिलाने की दिशा में किस हद तक कामयाब होगी इसे लेकर चाहे जो भी राय रखी जाए पर इस बात से इंकार नहीं कर सकता है। गढ़वा विधानसभा चुनाव का परिणाम को अजय मेटल ने काफ़ी हद तक बदल सकते हैं। उनके प्रदर्शन के आधार पर ही चुनाव मैदान में जीत सपना देख रहे हस्तियों का भविष्य निर्भर है।

बसपा प्रत्याशी अजय कुमार चौधरी उर्फ अजय मेटल इस चुनाव में निरन्तर बदलाव यात्रा में हैं जिसमे उनकी कोशिश चल रही है की वे गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी के परंपरागत एससी, एसटी, ओबीसी के साथ साथ माइनोरिटी समुदाय के वोटों को भी अपने पक्ष में समीकरण बैठाने में लगे हैं। आपको बता दे कि यह गढ़वा है और इसी गढ़वा मे 2009के चुनाव में मिथिलेश कुमार ठाकुर पहली बार लड़कर महज़ 14180 मत लाकर 2019 के चुनाव में 106681 मत लाकर सबको न केवल चौका दिए बल्कि झारखंड कैबिनेट में मंत्री बनकर बैठ गए। तात्पर्य यह है कि राजनीति मे कब क्या होगा अनिश्चितताओं के खेल की तरह परिणाम के मामले में भविष्यवाणी नहीं किया जा सकता।

विशेषकर बसपा जैसी पार्टी के उम्मीदवार को लेकर गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में जहां पर निषादो की आबादी 12% यानी 60 हज़ार से अधिक वोटर हैं। साथ में बहुजन समाज एससी, एसटी, ओबीसी तथा माइनोरिटी की आबादी लगभग 85%के करीब है इसलिए कहना मुश्किल है परिणाम किसके पक्ष में होगा। कहीं जाति और बहुजन समाज की समीकरण एक ट्रैक पर हो गई तो सकारात्मक परिणाम अजय मेटल के पक्ष में होगी। रही बात पुर्व मंत्री गिरिनाथ सिंह की तो ओ किस पार्टी से चुनाव लडेंगे यह भी कहना मुश्किल है।

पर पूरी दम खम के साथ चुनाव मैदान में सक्रीय दिख रहे हैं ऐसे में इसमें कोई संदेह नहीं की गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में चुनावी हलचल तेज़ हो गई है। चुनाव मैदान में ख़ुद को महारथी समझकर बड़े नेता के रुप में स्थापित राजनेताओं को इस राष्ट्रिय पार्टियों की बढ़ी सक्रीयता देख अभी से चिंता में डालने लगी है और इतना तो पके तौर पर कहा जा सकता है कि जैसे जैसे वक्त बीतेगा तथा बसपा प्रत्याशी के सक्रियता जोर पकड़ेगी वैसे वैसे बड़े नेताओं की सांसे भी अटकेगी।

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