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भविष्य में किसी भी आतंकी हमले को ‘युद्ध की कार्रवाई’ माना जाएगा, आतंकियों को भारी पड़ेगी भारतीय सेना की नई रणनीति

On: November 1, 2025 6:05 PM
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नई दिल्ली: भारतीय सेना ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी साज-सज्जा और रणनीति में स्पष्ट बदलाव की घोषणा की है। अब किसी भी आतंकवादी हमले को केवल आतंकवादी घटना नहीं, बल्कि युद्ध की कार्रवाई (act of war) माना जाएगा और तदनुसार निर्णायक सैन्य प्रतिक्रिया देने का नियम लागू होगा। इस नई पॉलिसी को सेना ने ‘न्यू नॉर्मल’ कहा है।

दक्षिण-पश्चिमी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट-जनरल मनजिंदर सिंह का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद सेना ने आतंकवाद के खिलाफ और अधिक सख्त, असर्टिव (assertive) काउंटर-टेरेरिज्म डॉक्ट्रिन अपनाई है। इसके तहत देश में किसी भी तरह की आतंकवादी हरकत को अब युद्ध-स्तर की घटना समझकर उसकी जवाबी कार्रवाई को सैन्य स्तर पर तैयार रखा जाएगा। उन्होंने मीडिया से बातचीत में यह भी कहा कि नई राजनीतिक दिशा का पालन करते हुए सेना को हर समय ऐसी किसी भी गतिविधि के लिए तैयार रहना होगा।

ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव

सुरक्षित सूत्रों और आधिकारिक प्रेस विज्ञप्तियों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीति को बदल दिया, अब ‘रणनीतिक संयम’ से हटकर अधिक सक्रिय और निर्णायक सैन्य विकल्पों को लागू करने का रुख लिया गया है। ऑपरेशन सिंदूर को भारत की नई प्रतिक्रिया-नीति का प्रतीक बताया जा रहा है, जिसने सीमा पार आतंकी नेटवर्क और प्रशिक्षण अड्डों पर सटीक जवाब दे कर एक नया मानक स्थापित किया।

तैयारियों में क्या बदलाव हुए हैं?

लेफ्टिनेंट-जनरल मनजिंदर सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि सेना ने रात में लड़ने और रात के संचालन-कुशलता (night-warfare capability) बढ़ाने पर खास जोर दिया है। इसलिए प्रशिक्षण का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा रात में कराना शुरू किया गया है जबकि दिन का प्रशिक्षण 30 प्रतिशत रखा गया है। साथ ही कई नई तकनीकें और कैपेबिलिटीज़ (सेंसर, ISR, कमांड-कंट्रोल सिस्टम, इत्यादि) तैनात की जा रही हैं ताकि तनिक भी किसी आतंकी हरकत पर तेज, निर्णायक और प्रभावी सैन्य जवाब दिया जा सके।

सरकार-सेना पारस्परिक समन्वय

प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्रालय ने भी ऑपरेशन सिंदूर के बाद जो दिशानिर्देश जारी किए वे संकेत देते हैं कि यह सिर्फ़ सैन्य कदम नहीं, बल्कि नीति-स्तर पर लिया गया निर्णय है यानी राजनीतिक नेतृत्व की मंजूरी के साथ आतंकवाद पर सख्त, जवाबी पर नियंत्रित सैन्य कार्रवाई अपनाई जाएगी। इससे यह स्पष्ट है कि भविष्य में किसी बड़े आतंकी हमले की प्रतिक्रिया सीमित ‘सर्जिकल’ जवाब तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि आवश्यकतानुसार व्यापक सैन्य कार्रवाई भी शामिल हो सकती है।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह दिशा-परिवर्तन आतंकवाद-निवारण में निर्णायकता बढ़ाएगा और संभावित निर्माताओं/आधारों पर अधिक दबाव डालेगा; लेकिन साथ ही इससे सीमा-क्षेत्रों में तनाव बढ़ने और प्रतिक्रियात्मक चक्र (escalation) के जोखिम पर भी नजर रखने की जरूरत होगी। कई विश्लेषक ऑपरेशन सिंदूर को ‘नया ढांचा’ मानते हुए यह भी कहते हैं कि सीमांकन, कल्पना और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को संतुलित रखना होगा ताकि स्थानीय घटनाएं पूरे द्विपक्षीय रिश्ते में अनियंत्रित उछाल न पैदा कर दें।

नागरिक सुरक्षा और कानून-नियमन का रोल

सेना के इस नए रुख का मतलब यह भी है कि गृह मंत्रालय, अर्धसैनिक बल और स्थानीय पुलिस के साथ समन्वय और अधिक जरूरी हो जाएगा। आतंकवादी घटनाओं का तत्काल सैन्य जवाब संभव है, पर देश के अंदर खुफिया साझा करने, कानून-व्यवस्था बनाए रखने और नागरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गृह स्तर पर भी तैयारी ज़रूरी होगी। विशेषज्ञों का सुझाव है कि नीति और अभियानों में पारदर्शिता, न्यायसंगतता और कानून के मानदण्डों का पालन बनाए रखना क्लीन शील्ड (legitimacy) के लिए अनिवार्य होगा।

क्या बदलने वाला है?

किसी भी बड़ी आतंकी घटना को अब ‘एक्शन ऑफ वार’ के रूप में देखा जाएगा और उसके अनुरूप सैन्य जवाब भी दिया जाएगा। रात में लड़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण और खरीद-प्रक्रियाओं में बदलाव किए जा रहे हैं; रात्री प्रशिक्षण का अनुपात बढ़ाया गया है। ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की रणनीतिक सोच में बदलाव लाकर ‘न्यू नॉर्मल’ स्थापित किया है, जिसका प्रभाव आगे दिखेगा।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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