रांची: माननीय राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने गुरुवार को राजभवन के बिरसा मंडप में आयोजित “बच्चों से संवाद कार्यक्रम” को संबोधित किया। इस अवसर पर माननीय केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ एवं प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान भी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय सेना केवल हमारी सीमाओं की रक्षा ही नहीं करती, बल्कि हमारे सपनों और भविष्य की भी सुरक्षा करती है। हमारे वीर जवान विषम परिस्थितियों में भी देश की रक्षा में सदैव तत्पर रहते हैं। उन्होंने बच्चों से आह्वान किया कि वे जीवन में चाहे सैनिक, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक या वैज्ञानिक कुछ भी बनें, सबसे पहले अच्छे इंसान और सच्चे देशभक्त नागरिक बनें।
राज्यपाल ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर आधारित विद्यार्थियों की पेंटिंग्स का उल्लेख करते हुए कहा कि ये चित्र बच्चों के हृदय में बसे देशप्रेम और वीर जवानों के प्रति सम्मान का सजीव प्रतीक हैं। जब ये चित्र हमारे सैनिकों तक पहुँचेंगे, तो उन्हें अपार प्रेरणा और ऊर्जा मिलेगी।
उन्होंने झारखंड की वीरता और बलिदान की गौरवशाली परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि यह धरती सदैव बलिदानी सपूतों की जन्मभूमि रही है। यह भूमि परमवीर चक्र विजेता लांस नायक अल्बर्ट एक्का की भी जन्मभूमि है, जिनका साहस सदैव प्रेरित करता है।
कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ ने कहा कि “बच्चे ही विकसित भारत के ब्रांड एम्बेसडर हैं।” उन्होंने बताया कि 36 विद्यालयों के विद्यार्थी इस संवाद में शामिल हुए। विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स सशस्त्र बलों के साहस और शौर्य को नमन करती हैं। श्री सेठ ने कहा कि भविष्य में 50,000 बच्चों तक पहुँचने की योजना है। उन्होंने इस अवसर पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान से आग्रह किया कि बच्चों की पेंटिंग्स को सीमाओं पर तैनात सैनिकों तक पहुँचाया जाए।
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने विद्यार्थियों से संवाद करते हुए कहा कि सेना में प्रवेश भाई-भतीजावाद से नहीं होता, बल्कि परिश्रम और योग्यता से होता है। उन्होंने कहा कि सेना केवल युद्ध के समय ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं और आपात परिस्थितियों में भी जनता की सेवा करती है।
उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इस अभियान में सटीक रणनीति, तकनीकी कौशल और नवाचार का समन्वय किया गया। इस बार ड्रोन और नौसेना के हथियार का भी इस्तेमाल हुआ। उन्होंने कहा कि सफलता केवल उच्च आईक्यू से नहीं, बल्कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता, टीम-वर्क और निरंतर सीखने की प्रवृत्ति से संभव है।
सेना सिर्फ सीमाओं की नहीं, हमारे सपनों और भविष्य की भी रक्षा करती है : राज्यपाल














