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लातेहार: लिम्फेटिक फाइलेरिया के नियंत्रण व उन्मूलन हेतु जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया

On: August 6, 2024 3:13 PM
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लातेहार :-संत जेवियर्स महाविद्यालय, महुआडांड़ प्रशासन और पिरामल फाउंडेशन के समन्वय से संत जेवियर्स महाविद्यालय के लेक्चर थिएटर हॉल लिम्फेटिक फाइलेरिया के नियंत्रण व उन्मूलन हेतु जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया!

कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के प्राचार्य डॉ. फादर एम. के. जोश के संबोधन तथा दीप प्रज्ज्वलन के साथ प्रारंभ हुआ।

असिस्टेंट प्रोफेसर शेफाली प्रकाश ने औपचारिक रूप से पिरामल फाउंडेशन के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व सहकर्मियों का स्वागत किया तथा विद्यार्थियों को उनसे परिचित करवाया।

यह कार्यक्रम संत जेवियर्स महाविद्यालय तथा महुआडांड़ प्रशासन के सहयोग से पिरामल फाउंडेशन के द्वारा चलाई जा रही थी। पिरामल समूह की परोपकारी शाखा है । फाउंडेशन चार व्यापक क्षेत्रों – स्वास्थ्य सेवा , शिक्षा , आजीविका सृजन और युवा सशक्तिकरण के अंतर्गत परियोजनाएं चलाता है। ये परियोजनाएं विभिन्न समुदायों , कॉर्पोरेट नागरिकों , गैर सरकारी संगठनों और सरकारी निकायों के साथ साझेदारी में शुरू की जाती हैं ।

अधिकारियों में संजय कुमार, देवनंजन बनर्जी (प्रोग्राम मैनेजर), तनिमा घोष (प्रोग्राम लीडर), आशीष कुमार (प्रोग्राम ऑफिसर), राघवेंद्र कुमार पांडेय (गांधीवादी), अरुण कुमार गिद्ध (एम. टी. एस. , महुआडांड़) शामिल थे l

कार्यक्रम के मैनेजर संजय कुमार ने पूरे महाविद्यालय के विद्यार्थियों व प्रोफेसर्स गण को लिम्फेटिक फाइलेरिया के कारण, लक्षण व निवारण पर चर्चा किया l उन्होंने कहा लिम्फेटिक फाइलेरिया को हिंदी में हाथी पैर (एलिफ़ैंटाइसिस) कहा जाता है l

यह एक परजीवी रोग है जो लिम्फ नोड्स और लिम्फ वाहिकाओं को प्रभावित करता है।

उन्होंने बताया की लिम्फैटिक फाइलेरियासिस संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। उनके काटने से एक परजीवी जमा हो जाता है जो लसीका तंत्र में चला जाता है। अधिकांश मामले लक्षणहीन होते हैं। शायद ही कभी, लसीका तंत्र को दीर्घकालिक क्षति के कारण पैरों, बाहों और जननांगों में सूजन हो जाती है। इससे बार-बार होने वाले जीवाणु संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है जो त्वचा को सख्त और मोटा कर देता है।

उन्होंने बताया कि फिलेरियासिस के उपचार में एंटी पैरासाइट दवाएँ और एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है। उपचार की अवधि वैज्ञानिक रूप से सिद्ध प्रोटोकॉल्स द्वारा परिभाषित की जाती है। तथा इसके लिए इनके द्वारा कैंप स्थापित भी किया जाएगा जिसमें महुआडांड़ के लोगों को महाविद्यालय के सहयोग से निःशुल्क दवा भी प्रदान की जाएगी।

अंत में पिरामल फाऊंडेशन के पूरी टीम ने विद्यार्थीयों से अपील की कि आप इस जानकारी को जितना हो सके व्हाट्स एप्प, फेसबुक पर शेयर करके तथा अपने ग्रामीण लोगों को एक साथ बुलाकर जानकारी दे सकते हैं तथा लोगों को इस लाइलाज बिमारी से बचा सकते हैं।

साथ ही साथ उन्होंने इस जागरूकता कार्यक्रम को सफ़ल बनाने हेतु जेवियर्स महाविद्यालय के प्राचार्य, उप प्राचार्य व प्रोफेसर्स गण को धन्यवाद ज्ञापित किया।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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