गढ़वा/मेराल: शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक संतुलन की भावना के साथ मंगलवार को गढ़वा व मेराल में “कीर्तन दिवस” का आयोजन श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। यह वार्षिक कार्यक्रम 8 अक्टूबर को भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी द्वारा प्रदत्त अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र “बाबा नाम केवलम” के स्मरण और सामूहिक कीर्तन के रूप में आयोजित किया गया।

मेराल के बंका रोड स्थित एस.जी.एन. मॉडर्न किंडरगार्टन और गढ़वा के मदरसा रोड स्थित आनंद मार्ग जागृति में आयोजित इस कार्यक्रम में बच्चों और आनंदमार्गी साधकों ने सामूहिक कीर्तन एवं वाद्ययंत्रों का सुंदर प्रदर्शन किया। बच्चों के मधुर गायन और लयबद्ध ताल ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर कर दिया।
कार्यक्रम में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। विशेष रूप से चाणक्य देव को प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता भुक्ति प्रधान धर्मेंद्र देव ने की। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि जीवन को आनंदमय और संतुलित बनाने के लिए शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक प्रगति आवश्यक है। केवल कर्म, ज्ञान या साधना में एकांगी प्रवृत्ति संतुलन को बाधित कर सकती है। उन्होंने शास्त्रीय सिद्धांत “आत्ममोक्षार्थं जगत् हिताय च” का उल्लेख करते हुए इसे संतुलित जीवन का मूलमंत्र बताया।
उन्होंने बताया कि 1970 में श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने अष्टाक्षरी महामंत्र “बाबा नाम केवलम” प्रदान किया, जिसका अर्थ है — इस समस्त ब्रह्मांड में केवल परमप्रिय परमेश्वर ही सब कुछ हैं। यह महामंत्र परमानंद, मुक्ति, शांति और सुख का स्रोत है तथा चिंता, शोक, पाप, रोग और शत्रुता का नाशक माना जाता है।
कार्यक्रम के समापन पर ललित मार्मिक संकीर्तन नृत्य का आयोजन हुआ, जिसने उपस्थित जनों को आध्यात्मिक भाव तरंगों में सराबोर कर दिया। इस नृत्य को केवल भक्ति का प्रतीक ही नहीं, बल्कि “मानसिक-आध्यात्मिक व्यायाम” के रूप में भी प्रस्तुत किया गया, जो शरीर, मन और आत्मा को संतुलन प्रदान करता है।
इस अवसर पर विद्यालय परिवार, आनंदमार्गी साधकगण, स्थानीय नागरिक एवं अभिभावकगण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। पूरा वातावरण “बाबा नाम केवलम” के संकीर्तन से गुंजायमान हो उठा।














