संथाली भाषा को प्रथम राज्य भाषा का दर्जा देने सहित कई मांगों को लेकर आदिवासी संगठनों का बंद आज, ढोल नगाड़ा पारंपरिक हथियारों के साथ उतरेंगे कार्यकर्ता

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बंद की पूर्व संध्या निकाला मशाल जुलूस

जमशेदपुर:संथाली भाषा को ओलचिकी लिपि से पठन-पाठन सामग्री तैयार करने,प्राथमिक स्तर से पढाई चालू करने,पढ़ाने के लिए शिक्षकों की बहाली,संथाली भाषा, संस्कृति, ओलचिकी लिपि का प्रचार प्रसार संरक्षण एवं संवर्धन हेतु संथाली एकेडमी का गठन करने और संताली भाषा को झारखंड में प्रथम राज्य भाषा का दर्जा देने की मांग को लेकर आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के अधिकारिक संगठन ओलचिकी हुल बैसी ने 4 जुलाई को संपूर्ण झारखंड बंद का ऐलान किया है। झारखंड बंद के पूर्व संध्या पर आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के आधिकारिक संगठन ओलचिकी ओलचिकी हूल बैसी द्वारा मशाल जुलूस निकाला। बंद को आदिवासी सुरक्षा परिषद ने भी किया है समर्थन।

हुल बैसी के महासचिव दुर्गाचरण मुर्मू ने बताया कि मशाल जुलूस के माध्यम से दिनांक 4 जुलाई 2023 के 12 घंटा संपूर्ण झारखंड बंद को लेकर सभी आम जनों को, परिवहन मालिकों को, व्यवसायों को निवेदन किया जा रहा है कि झारखंड बंद के दौरान अनावश्यक विधि व्यवस्था भंग करने के लिए रोड पर न निकले। दुकान ना खोलें और शांतिपूर्ण तरीके से हमारे संवैधानिक अधिकारों की मांग को समर्थन करते हुए बंद का सहयोग करें।

कई वर्षों बाद आदिवासी समाज अपने संवैधानिक हक अधिकार के लिए पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के बैनर तले आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है, जब तक सरकार हमारे संवैधानिक मांगों पर उचित विचार करते हुए मांगों को पूरा करने की दिशा में काम नहीं करती है तो भविष्य में समाज के द्वारा और भी उग्र आंदोलन के लिए रणनीति तय की जाएगी।

हुल बैसी के महासचिव दुर्गा चरण मुर्मू ने बताया कि झारखंड बंध के मौके पर जगह-जगह कार्यकर्ता आंदोलन करने सड़कों पर उतरेंगे रेल रूट और स्कूलों को बंद कर आएंगे कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि वह आवश्यक सेवाओं को बंद से मुक्त रखें। यह झारखंड बंद शांतिपूर्वक तरीके से किया जाएगा उन्होंने बताया कि रणनीति के तहत चिन्हित जगह पर कार्यकर्ता पूरे दलबल और पूरे पारंपरिक हथियार ढोल नगाड़ों के साथ उतरेंगे आंदोलन को ऐतिहासिक बनाने के लिए कोर कमेटी के सदस्यों को जिम्मेवारी सौंपी गई है।

इसीलिए सरकार से निवेदन है कि हमारी मांग है कि संथाली भाषा को ओलचिकी लिपि से पठन-पाठन सामग्री तैयार करें और प्राथमिक स्तर से पढाई चालू करें, पढ़ाने के लिए शिक्षकों की बहाली हो, संथाली भाषा, संस्कृति, ओलचिकी लिपि का प्रचार प्रसार संरक्षण एवं संवर्धन हेतु संथाली एकेडमी का गठन हो , संथाली भाषा को झारखंड में प्रथम राज्य भाषा का दर्जा दिया जाए।

वहीं दूसरी ओर आदिवासी सुरक्षा परिषद में हो ओलचिकी हूल बैसी द्वारा आहूत झारखंड बंद को समर्थन करते हुए परिषद के अध्यक्ष रमेश हांसदा ने बताया कि पूर्व सीएम रघुवर दास की सरकार ने ओलचिकी को मान्यता दी है और टीचर की बहाली भी शुरू कर दी थी लेकिन हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री बनते ही सब बंद हो गया उन्होंने सभी समर्थकों से बढ़-चढ़कर बंदी में भाग लेकर आंदोलन को सफल बनाने की अपील की है सोमवार को आदिवासी सुरक्षा परिषद ने राजनगर मिस को लेकर बैठक भी की थी जिसमें बंद को समर्थन देने का निर्णय लिया गया बैठक में जिला अध्यक्ष सीताराम हांसदा दुर्गा टूडू दुखी सामंत सिविल देवगम चतुर हेंब्रम जयपाल मुर्मू उपस्थित थे।

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