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उत्तरप्रदेश में जाति आधारित रैलियों पर पूरी तरह प्रतिबंध, FIR से लेकर सरकारी कागजात तक से हटेगा Caste कॉलम

On: September 22, 2025 12:36 PM
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लखनऊः उत्तर प्रदेश सरकार ने जातिगत भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब राज्य में न तो जाति आधारित रैलियां हो सकेंगी और न ही पुलिस रिकॉर्ड्स या सरकारी दस्तावेजों में किसी व्यक्ति की जाति लिखी जाएगी। मुख्य सचिव ने इस संबंध में 21 सितंबर को विस्तृत आदेश जारी कर सभी विभागों को तुरंत प्रभाव से अनुपालन करने के निर्देश दिए हैं। यह कदम इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया फैसले के बाद उठाया गया है।

कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

19 सितंबर 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने शराब तस्करी से जुड़े एक मामले (प्रवीण छेत्री बनाम राज्य) की सुनवाई करते हुए स्पष्ट कहा कि एफआईआर और जब्ती मेमो में जाति लिखना संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ है और यह राष्ट्र-विरोधी मानसिकता को बढ़ावा देता है। अदालत ने साफ किया कि पहचान के लिए जाति का उल्लेख करना आवश्यक नहीं है, क्योंकि आधुनिक साधन जैसे फिंगरप्रिंट, आधार, मोबाइल नंबर और माता-पिता का नाम पर्याप्त हैं।

मुख्य सचिव के निर्देशों में जातिगत भेदभाव को जड़ से खत्म करने के लिए निम्नलिखित अहम बिंदु शामिल किए गए हैं—

1. FIR और पुलिस रिकॉर्ड्स में बदलाव: अब एफआईआर, गिरफ्तारी मेमो, चार्जशीट आदि दस्तावेजों से जाति का कॉलम पूरी तरह हटा दिया जाएगा। आरोपी की पहचान में पिता के साथ-साथ माता का नाम भी दर्ज करना अनिवार्य होगा।

2. NCRB और CCTNS में सुधार: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) और क्राइम क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (CCTNS) में जाति भरने वाले कॉलम को खाली छोड़ा जाएगा। पुलिस विभाग इस कॉलम को स्थायी रूप से हटाने की सिफारिश करेगा।

3. सार्वजनिक स्थलों से जातीय संकेत हटेंगे: थानों के नोटिस बोर्ड, पुलिस वाहनों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर लगे जाति आधारित प्रतीक, स्लोगन या संकेतकों को हटाया जाएगा। इसके साथ ही वाहनों पर जाति-आधारित नारे लिखने पर भी रोक लगेगी।

4. जाति आधारित रैलियों पर रोक: अब प्रदेश में किसी भी प्रकार की जातीय रैली या आयोजन की अनुमति नहीं दी जाएगी।

5. सोशल मीडिया पर सख्ती: इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जाति का महिमामंडन या घृणा फैलाने वाले कंटेंट पर आईटी एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई होगी।

6. विशेष छूट: एससी/एसटी एक्ट जैसे विशेष मामलों में, जहां जाति का उल्लेख कानूनी रूप से जरूरी है, वहां छूट दी जाएगी।

समानता की ओर बड़ा कदम

विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला प्रदेश में जातिगत भेदभाव को खत्म करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। सरकार का दावा है कि इस पहल से समाज में समानता और भाईचारे की भावना मजबूत होगी और जाति आधारित भेदभाव तथा नफरत पर रोक लगेगी।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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