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संवाददाता – अमित दत्ता

सोनाहातू (रांची):- भ्रष्टाचार और धांधली की इंतहा देखिए! एक मृत वृद्धा के बैंक खाते से पेंशन के 47 हजार रुपये निकाल लिए गए, और किसी को कानों-कान खबर तक नहीं लगी। मामला जब राहे प्रखंड के बीडीओ की जांच में सामने आया, तो पूरे इलाके में हड़कंप मच गया।

कैसे हुआ घोटाला?

राहे एसबीआई शाखा में खाता धारक इंदवारी देवी की मृत्यु वर्ष 2019 में हो चुकी थी, लेकिन इसके बावजूद उनके खाते में पेंशन की रकम आती रही। इस भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा पहलू यह है कि बैंक अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत से उनकी मौत के पांच साल बाद भी खाते से रुपये निकाले जाते रहे।

पर्दाफाश ऐसे हुआ:

जांच में खुलासा हुआ कि मृत महिला के बैंक खाते में 77 हजार रुपये जमा थे, जिनमें से 47 हजार रुपये निकाले जा चुके थे। अभी भी खाते में 30 हजार रुपये शेष हैं, जिसे फ्रीज कर दिया गया है। अब सवाल यह उठता है कि बिना जीवित प्रमाण पत्र के बैंक से पैसे कैसे निकाले जा रहे थे?

बैंक अधिकारियों की संलिप्तता पर सवाल

👉पेंशन निकासी के लिए जीवित प्रमाण पत्र जरूरी होता है, तो आखिर किस आधार पर यह पैसा निकाला गया?

👉क्या बैंक अधिकारी जानते थे कि महिला की मृत्यु हो चुकी है, फिर भी उन्होंने मिलीभगत कर पैसे निकाले?

👉यदि निकासी दलालों के जरिए हुई, तो बैंक के सिस्टम में यह फर्जीवाड़ा कैसे नहीं पकड़ा गया?

कड़ी कार्रवाई की मांग

बीडीओ की जांच के बाद अब बैंक अधिकारियों, बिचौलियों और पंचायत सेवक पर गाज गिर सकती है। संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलब किया गया है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है।

सवाल जो सिस्टम पर उठते हैं:

1. बिना जीवित प्रमाण पत्र के पेंशन जारी कैसे हुई?

2. बैंक ने नियमित रूप से पेंशन की निगरानी क्यों नहीं की?

3. क्या यह अकेला मामला है, या और भी मृतकों के खातों से पैसे निकाले जा रहे हैं?

भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी

इस मामले ने सरकारी योजनाओं में हो रही धांधली को उजागर कर दिया है। यह महज एक मामला नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम में बैठे भ्रष्टाचारियों की पोल खोलने वाला घोटाला है। यदि समय रहते जांच पूरी नहीं हुई और दोषियों को सजा नहीं मिली, तो यह भ्रष्टाचार आगे भी चलता रहेगा। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या सख्त कदम उठाता है, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।