रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में मंगलवार को अनुसूचित जनजाति सलाहकार परिषद (TAC) की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक के बाद उपाध्यक्ष स्टीफन मरांडी ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि परिषद ने कई अहम मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें आदिवासी क्षेत्रों में शराब की दुकानों को लेकर महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है। स्टीफन मरांडी ने बताया कि अब 50 प्रतिशत से अधिक आदिवासी आबादी वाले क्षेत्रों में बार और शराब दुकान खोलने के लिए ग्रामसभा की मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि यह निर्णय आदिवासी समाज की संस्कृति और हितों की रक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
स्टीफन मरांडी ने कहा कि मेसा का प्रस्ताव फिलहाल स्थगित कर दिया है। इसमें प्रस्ताव यह था कि नगर निगम और नगरपालिका पर चुनी हुई सदस्यों की समिति की अनुशंसा मानना बाध्यकारी नहीं होगा, इसे ही स्थगित कर दिया गया है।
टीएसी की बैठक में आदिवासियों के बीच जमीन की खरीद बिक्री में मामले में थाना की बाध्यता समाप्त करने के मामले में कानूनी सलाह लेने का फैसला लिया गया। स्टीफन मरांडी ने बताया कि इस मामले में पुलिस और रेवेन्यू मामलों के साथ रैयतों का खतियान भी देखा जाएगा।सदस्यों ने सीएनटी एक्ट लागू होने के समय गठित तीन थानों को ही पुनः प्रभावी बनाने का समर्थन किया। हालांकि इसे लागू कैसे किया जाएगा, इस पर अंतिम निर्णय कानूनी राय मिलने के बाद लिया जाएगा। सरकार लीगल ओपिनियन लेने के बाद पुलिस और रैयती थानों के परिसीमन से जुड़े मामलों को सुलझाएगी। इसके बाद इस प्रस्ताव को अगली टीएसी बैठक में मंजूरी के लिए लाया जाएगा।
पेसा अधिनियम से जुड़ी नियमावली को लेकर बताया गया कि पहले जेपीआर-1 में संशोधन किया जाएगा, उसके बाद ही पेसा नियमावली का गठन किया जाएगा।
बैठक में टीएसी की वैधता को लेकर उठे सवालों पर भी चर्चा हुई। स्टीफन मरांडी ने जानकारी दी कि महाधिवक्ता से राय ली गई है और वर्तमान टीएसी को वैध माना गया है। इस पर महाधिवक्ता से भी राय ली गई थी, जिसमें इसे वैध ठहराया गया है। स्टीफन मरांडी ने टीएसी के नियमावली बदलाव कर राज्यपाल के अधिकार में कटौती करने को सही करार दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा महाधिवक्ता से कानूनी राय लेने के बाद किया गया है।