Delhi Blast: दिल्ली के लालकिले के पास हुए धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, परत दर परत नए खुलासे हो रहे हैं। अब जांच एजेंसियों की नजर फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी पर जा टिकी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में एंट्री कर ली है, जिससे यह साफ हो गया है कि मामला सिर्फ आतंकी साजिश तक सीमित नहीं, बल्कि इसमें वित्तीय लेनदेन और मनी लॉन्ड्रिंग का भी गहरा खेल हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार, यूनिवर्सिटी परिसर से एक चौथी कार बरामद हुई है जो डॉ. शाहीन सईद के नाम पर रजिस्टर्ड है। मौके पर बम निरोधक दस्ता पहुंच चुका है और वाहन की गहन जांच की जा रही है। इससे पहले डॉ. मुजम्मिल के पास से मिली स्विफ्ट कार भी शाहीन के नाम पर ही पंजीकृत थी। इसी कड़ी में शाहीन को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शाहीन की कार से AK-47 राइफल, पिस्टल और गोलियां बरामद की थीं, जो सीधे तौर पर लालकिले धमाके से जुड़ी मानी जा रही हैं। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि अल फलाह यूनिवर्सिटी की भूमिका इस आतंकी नेटवर्क में कितनी गहरी है।
सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश
जांच के दौरान सामने आया है कि ‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’ के तहत गिरफ्तार चार डॉक्टरों- डॉ. मुजम्मिल गनई, डॉ. अदील अहमद राथर, डॉ. शाहीन सईद और डॉ. उमर नबी ने मिलकर 26 लाख रुपये की नकद राशि जुटाई थी। यह रकम विस्फोटक सामग्री और अन्य ऑपरेशनल जरूरतों के लिए इस्तेमाल की गई। यह धनराशि सुरक्षित रखने और उपयोग के लिए डॉ. उमर को सौंपी गई थी।
डॉ. उमर नबी, जो मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के रहने वाले हैं और वर्तमान में फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर थे, सोमवार शाम लालकिले के पास हुए धमाके में इस्तेमाल हुई हुंडई i20 कार चला रहे थे। जांचकर्ताओं का मानना है कि वही इस साजिश का प्रमुख कड़ी था।
खाद से विस्फोटक सामग्री की तैयारी
जांच में यह भी सामने आया है कि आतंकियों ने जमा की गई राशि से गुरुग्राम, नूंह और आसपास के इलाकों से करीब 3 लाख रुपये मूल्य की 26 क्विंटल NPK खाद खरीदी थी। एजेंसियों का मानना है कि यही सामग्री विस्फोट में प्रयुक्त की गई।
ईडी की एंट्री से जांच का दायरा बढ़ा
ईडी अब यह जांच कर रही है कि यूनिवर्सिटी के माध्यम से आतंकियों ने फंडिंग कैसे की और क्या संस्थान के प्रशासनिक स्तर पर भी कोई संलिप्तता रही है। एजेंसियों को शक है कि शैक्षणिक संस्थान की आड़ में फंड ट्रांसफर और हवाला नेटवर्क के जरिए आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा था।
फिलहाल, ईडी, एनआईए और दिल्ली पुलिस की विशेष सेल मिलकर इस केस की गहराई से जांच कर रही हैं। जांच एजेंसियां अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े हर व्यक्ति और वित्तीय लेनदेन की बारीकी से छानबीन कर रही हैं।














