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झारखंड वार्ता

रांची: झारखंड आंदोलन के पुरोधा, आदिवासी समाज की बुलंद आवाज और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद पूरे राज्य में शोक की लहर है। इसी बीच अब उन्हें “भारत रत्न” देने की मांग जोर पकड़ने लगी है। झारखंड सरकार में मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने भारत सरकार से औपचारिक अपील करते हुए कहा है कि शिबू सोरेन का जीवन, संघर्ष और योगदान देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान का पात्र है।

डॉ. अंसारी ने कहा, गुरुजी सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, बल्कि वह करोड़ों आदिवासियों के हक और हुकूक की आवाज थे। उन्होंने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित किया। झारखंड आंदोलन को राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले इस महानायक को भारत रत्न से सम्मानित करना, पूरे झारखंड और देश के आदिवासी समाज को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन ने आदिवासी समाज को संगठित कर सामाजिक न्याय, समता और स्वाभिमान की राजनीति को नई दिशा दी। झारखंड अलग राज्य की नींव रखने में उनका योगदान ऐतिहासिक रहा है। भारत रत्न सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि उस संघर्षशील विरासत का राष्ट्रीय मूल्यांकन है, जिसने देश के एक बड़े हिस्से को उसकी पहचान और हक दिलाया जाए।

इधर, दिशोम गुरु की पोती और झामुमो युवा नेत्री जयश्री सोरेन ने भी सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा कर अपने दादा को याद किया। उन्होंने लिखा, “दादाजी के बिना सब कुछ अधूरा-सा लगता है। उनकी बातें, अंदाज, और छोटी-छोटी सीखें आज भी दिल में गूंजती हैं। उन्होंने हमें सिखाया कि जीवन में चाहे कितनी भी उलझनें हों, सिर ऊंचा रखकर उन्हें सामना कैसे करना है।”

जयश्री ने लिखा कि उनके दादा की विरासत हमेशा उनके साथ रहेगी और हर कदम पर उन्हें मार्गदर्शन देती रहेगी। मैं उन्हें बहुत प्यार करती हूं और हमेशा करती रहूंगी।

आदिवासी अस्मिता के प्रतीक थे गुरुजी

राज्य के राजनीतिक और सामाजिक हलकों में यह मांग जोर पकड़ रही है कि शिबू सोरेन जैसे आंदोलनकारी और जननेता को भारत रत्न से सम्मानित कर केंद्र सरकार उनके योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दे। उनके संघर्ष की कहानी न सिर्फ झारखंड बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज के सम्मान, हक और पहचान की कहानी है।