पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की प्रक्रिया जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कई अप्रत्याशित घटनाएं भी सामने आ रही हैं। नामांकन पत्रों की जांच के बाद तीन विधानसभा सीटों — मोहनिया, सुगौली और मढ़ौरा पर सियासी समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। इनमें से दो सीटों पर महागठबंधन को नुकसान हुआ है, जबकि एक सीट पर एनडीए को बड़ा झटका लगा है।
मोहनिया में आरजेडी प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन रद्द
सबसे ज्यादा चर्चा मोहनिया विधानसभा सीट की है, जहां आरजेडी प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन रद्द कर दिया गया है। चुनाव आयोग की जांच में पाया गया कि श्वेता सुमन ने 2020 के विधानसभा चुनाव में भी मोहनिया से नामांकन किया था, लेकिन तब उन्होंने अपना पता उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले की सकलडीहा विधानसभा क्षेत्र के रूप में दर्ज कराया था।
इस बार उन्होंने बिहार का पता दिया, मगर आयोग ने प्रस्तुत साक्ष्यों को पर्याप्त नहीं माना। आयोग के अनुसार, श्वेता सुमन अब भी उत्तर प्रदेश की निवासी मानी जाएंगी। नतीजतन, उनका नामांकन अमान्य करार दिया गया।
इस फैसले से आरजेडी को बड़ा नुकसान हुआ है, क्योंकि मोहनिया सीट पर पार्टी की पिछली बार मजबूत पकड़ थी। अब महागठबंधन को या तो नया उम्मीदवार उतारना होगा या सहयोगी दल को समर्थन देने की रणनीति बनानी होगी।
सुगौली सीट पर वीआईपी प्रत्याशी शशि भूषण सिंह का नामांकन रद्द
पूर्वी चंपारण की सुगौली विधानसभा सीट पर भी महागठबंधन को झटका लगा है। यहां विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के उम्मीदवार शशि भूषण सिंह का नामांकन तकनीकी खामियों के कारण रद्द कर दिया गया। उनके नामांकन पत्र में कई जरूरी दस्तावेज अधूरे थे और सत्यापन के दौरान आयोग को कई विसंगतियां मिलीं। रिटर्निंग ऑफिसर ने जांच के बाद उनका नामांकन अमान्य घोषित कर दिया। इससे महागठबंधन की रणनीति पर असर पड़ा है, क्योंकि सुगौली में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा था। अब यह देखना होगा कि महागठबंधन नया प्रत्याशी उतारता है या किसी निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन देता है।
मढ़ौरा में एनडीए को झटका, लोजपा (रामविलास) प्रत्याशी का नामांकन रद्द
तीसरा बड़ा झटका एनडीए को मढ़ौरा विधानसभा सीट पर लगा है। यहां लोजपा (रामविलास) की प्रत्याशी सीमा सिंह का नामांकन आयकर और संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों में गड़बड़ी के चलते रद्द कर दिया गया। निर्वाचन पदाधिकारी ने सत्यापन के दौरान गंभीर त्रुटियां मिलने के बाद नामांकन अमान्य घोषित किया।
अब एनडीए के पास नया प्रत्याशी उतारने का मौका नहीं है, क्योंकि नामांकन की अंतिम तिथि समाप्त हो चुकी है। इस तरह मढ़ौरा सीट एनडीए के लिए बिना लड़े हार का कारण बन गई है।
राजनीतिक हलचल तेज, रणनीति पर मंथन जारी
इन तीन सीटों पर नामांकन रद्द होने की घटनाओं ने बिहार के चुनावी परिदृश्य में एक नया मोड़ ला दिया है। महागठबंधन को मोहनिया और सुगौली में नुकसान हुआ है, जहां विपक्षी दलों को सीधा फायदा मिल सकता है। वहीं एनडीए की मढ़ौरा सीट पर स्थिति कमजोर हुई है, जो पहले उसकी मजबूत पकड़ वाला क्षेत्र माना जाता था।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि “नामांकन प्रक्रिया में यह लापरवाही उम्मीदवारों और दलों की तैयारी पर गंभीर सवाल उठाती है। जब हर सीट पर मुकाबला कांटे का है, तो एक भी उम्मीदवार की अयोग्यता सत्ता संतुलन को बदल सकती है।”
अब सबकी नजर इस बात पर है कि आरजेडी, वीआईपी और लोजपा (रामविलास) आगे क्या रणनीति अपनाते हैं। क्या वे निर्दलीयों को समर्थन देंगे या गठबंधन के भीतर सीटों का पुनर्वितरण होगा?
फिलहाल इतना तय है कि बिहार चुनाव 2025 की शुरुआत तीन झटकों और कई राजनीतिक सवालों के साथ हुई है, और संभव है कि यही शुरुआती घटनाएं आगे के चुनावी नतीजों की दिशा तय करें।














