कौशल भारत मिशन के अंतर्गत, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) विभिन्न योजनाओं यथा प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस), राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) और शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों सहित देश भर में कौशल विकास केंद्रों/संस्थानों के व्यापक नेटवर्क के जरिए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के माध्यम से स्किलिंग, रीस्किलिंग और अप-स्किलिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए योजनाएं लागू करता है। इन योजनाओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई): पीएमकेवीवाई सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में युवाओं को अल्पकालिक प्रशिक्षण (एसटीटी) और पूर्व शिक्षा की मान्यता (आरपीएल) के माध्यम से कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक मांग-संचालित योजना है।
जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) योजना: जेएसएस का मुख्य लक्ष्य निरक्षरों, नव-साक्षरों, 8वीं कक्षा तक प्राथमिक शिक्षा स्तर वाले तथा 12वीं कक्षा तक स्कूल छोड़ने वाले 15-45 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों को “दिव्यांगजन” और अन्य पात्र मामलों में उचित छूट के साथ व्यावसायिक कौशल प्रदान करना है। इसमें महिलाओं, अनुसचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ी जाति तथा अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता दी गई है।
राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस): यह योजना शिक्षुता अधिनियम, 1961 के तहत शिक्षुता कार्यक्रम चलाने वाले औद्योगिक प्रतिष्ठानों को वित्तीय सहायता प्रदान करके शिक्षुता प्रशिक्षण को बढ़ावा देने और प्रशिक्षुओं की भागीदारी बढ़ाने से संबद्ध है। प्रशिक्षण में बुनियादी प्रशिक्षण और नौकरी पर प्रशिक्षण/उद्योग में कार्यस्थल पर व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल है।
शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस): यह योजना देश भर में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के माध्यम से दीर्घकालिक प्रशिक्षण प्रदान करने से संबंधित है। आईटीआई उद्योग में कुशल कार्यबल उपलब्ध कराने के साथ-साथ युवाओं को स्वरोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से बड़ी संख्या में आर्थिक क्षेत्रों को कवर करते हुए व्यावसायिक/कौशल प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की एक श्रृंखला की पेशकश करते हैं।
एमएसडीई के तहत राष्ट्रीय उद्यमिता और लघु व्यवसाय विकास संस्थान (निस्बड), नोएडा तथा भारतीय उद्यमिता संस्थान (आईआईई), गुवाहाटी प्रशिक्षण, परामर्श, अनुसंधान आदि के माध्यम से सक्रिय रूप से उद्यमिता को बढ़ावा देने में संलग्न हैं।
जैसा कि ऊपर कहा गया है, कौशल विकास और उद्यमिता को बढ़ावा देने के कार्यक्रम सीमावर्ती क्षेत्रों सहित पूरे देश में लागू किए जाते हैं। इसके अलावा, वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से प्रभावित 48 जिलों में कौशल विकास योजना वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों में 48 आईटीआई की स्थापना में सहायता करती है। इसमें छत्तीसगढ़ के 9 जिले यथा दंतेवाड़ा, बस्तर, कांकेर, सरगुजा, राजनांदगांव, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा और कोडागांव शामिल हैं।
यह जानकारी केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।