इंद्रियों का सुख तो पशु भी भोग लेता है, 84 लाख योनि के बाद मानव योनि में जन्म लेने के बाद मनुष्य की इच्छा परमात्मा प्राप्ति की होनी चाहिए :- जीयर स्वामी

ख़बर को शेयर करें।

शुभम जायसवाल

श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):– पूज्य संत श्री श्री 1008 श्री लक्ष्मी प्रपन्न श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि इंद्रियों का भोग तो जानवर भी भोग लेते हैं यह सभी जीवो में व्याप्त है लेकिन 84 लाख योनि के बाद मानव योनि में जन्म लेने के बाद मनुष्य की इच्छा परमात्मा प्राप्ति की होनी चाहिए। क्योंकि ईश्वर की बहुत बड़ी कृपा होती है तो 84 लाख योनियों के बाद मानव योनि में इंसान जन्म लेता है। अगर वह भी भोग विलास में इधर-उधर गवां दे तो यह दुर्भाग्य है।मनुष्य का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ भगवत प्राप्ति हीं होनी चाहिए और इसको पाने के लिए मनुष्य को प्रयास करना चाहिए। जिसका दो मुख्य मार्ग है, संत का समागम तथा ईश्वर का भजन। अगर आप मार्ग से भटक गए हैं कहीं कुछ समझ में नहीं आ रहा है तो संत का समागम कीजिए संत का दर्शन कीजिए संत का प्रवचन सुनिए धीरे-धीरे मन भटका हुआ मार्ग छोड़कर ईश्वर की ओर अग्रसर हो जाएगा।

कथा श्रवण करती महिलाएं

अगर कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है तो लगातार ईश्वर की भक्ति शुरू कर दीजिए धीरे-धीरे भटका हुआ मन भी ईश्वर के मार्ग में चलना शुरू कर देगा। स्वामी जी महाराज ने कहा कि मानव योनि में कर्म के प्रति विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।हम मानते हैं कि अच्छा कर्म ज्यादा नहीं हो पा रहा है लेकिन उससे ज्यादा जरूरी है कि बुरा कर्म न हो पाए। सतर्कता इसी बात की रखनी चाहिए कि हमसे कोई गलत कार्य न हो जाए। किसी अन्य जीवों को कष्ट न हो जाए। किसी को भी किसी जीव को मारकर खाने का अधिकार नहीं है। अपने जीभ के स्वाद के लिए दूसरे जीवों को मार कर खाना यह बहुत बड़ा महा पाप है। क्योंकि मनुष्य भी सभी योनियों से होकर गुजरा है। अतः मनुष्य को विवेक से काम लेना चाहिए।

ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए अच्छे-अच्छे कर्म करने चाहिए पेड़ पौधा लगाना चाहिए और सबसे पहला चीज है कि आसपास के वातावरण और आसपास के जगह को स्वच्छ रखना चाहिए। जहां स्वच्छता होती है वहां ईश्वर का वास होता है। प्रत्येक मनुष्य को चाहिए की गंगा गीता गौ तथा गायत्री की पूजा करें। जिनके घर में इन सभी की पूजा होती है उनके घर में दरिद्रता का वास नहीं हो पता है और उनके पूरे परिवार पर नारायण की कृपा बनी रहती है।कामना उत्पन्न होते ही मनुष्य अपने कर्तव्य से विमुख हो जाता है और नासवान संसार के सम्मुख हो जाता है।किसी को भी नाही इच्छाओं की पूर्ति की आशा रखनी चाहिए और ना परमार्थिक इच्छा की पूर्ति से निराशा ही होना चाहिए।

कामनाओं के त्याग में सब स्वतंत्र और समर्थ हैं परंतु कामनाओं की पूर्ति में कोई भी स्वतंत्र तथा समर्थ नहीं है। ज्यों ज्यों कामनाए नष्ट होती है हम ईश्वर के करीब जाते हैं। और ज्यों ज्यों कामनाएं बढ़ती है तो साधुता लुप्त होती है और हम ईश्वर से दूर होते चले जाते हैं। अतः जितना हो सके उतना जीवन में संसाधन का कम उपयोग करना चाहिए और सुख की इच्छा नहीं रखनी चाहिए कामना मात्र से कोई पदार्थ नहीं मिलता अगर मिलता भी है तो सदा साथ नहीं रहता ऐसी बात प्रत्यक्ष होने पर भी पदार्थ की कामना रखना यह हमारी भूल है।

Video thumbnail
मानगो में आग, झारखंड अग्निशमन विभाग का गाड़ी पहुंचा लेकिन काम नहीं कर सका! फिर...!
04:45
Video thumbnail
गढ़वा अतिक्रमण विवाद: विधायक सतेंद्रनाथ तिवारी ने प्रशासन पर दमन और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए #garhwa
06:39
Video thumbnail
हर हर महादेव संघ ने ठंड से ठिठुरते लोगों की ली सुधि, खुशी से लोगों ने लगाया भोलेनाथ का जयकारा
01:30
Video thumbnail
उर्सुलाइन इंग्लिश मीडियम स्कूल मुरी में क्रिसमस गैदरिंग का आयोजन किया गया
01:57
Video thumbnail
एमके इंटरनेशनल स्कूल का तृतीय वार्षिक खेल महोत्सव संपन्न: प्रतिभाओं को मिला सम्मान और प्रोत्साहन
06:44
Video thumbnail
रिटायर्ड ट्यूब कमी से साइबर ठगोंं ने 50000 ऐसे उड़ाए लेकिन बाकी पैसे उन्होंने ऐसे बचाए!
02:30
Video thumbnail
रांची : देवेंद्र नाथ महतो का आह्वान, जेपीएससी अध्यक्ष नियुक्ति के लिए कल ट्विटर अभियान
03:31
Video thumbnail
श्री बंशीधर नगर: अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बुलडोजर एक्शन जारी, वसूला जुर्माना, बोले..!
03:00
Video thumbnail
मेरठ :कथा वाचक प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा में मची भगदड़, कई घायल
01:08
Video thumbnail
गढ़वा पहुंची भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह ने स्टेज पर लगाए ठुमके,कलाकारों को ऐसा क्यों बोली सुनिए..?
28:42
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

Related Articles

- Advertisement -

Latest Articles