Guillain-Barré syndrome: महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने रविवार को गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) प्रकोप से जुड़ी पहली मौत की जानकारी दी है। इस बीमारी से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की मौत हो गई है। कुछ दिन पहले वह सोलापुर जिले में अपने गांव गए थे, तभी से उन्हें दस्त हो रही थी। कमजोरी बढ़ने पर सोलापुर के प्राइवेट अस्पताल पहुंचे तो GBS का पता लगा। शनिवार को तबीयत स्थिर होने पर ICU से CA को बाहर निकाला गया, लेकिन कुछ देर बाद सांस लेने में दिक्कत की वजह से मौत हो गई।
केंद्र ने जांच के लिए एक टीम पुणे भेजी है। डिप्टी सीएम अजित पवार ने रविवार को कहा कि पुणे नगर निगम के कमला नेहरू अस्पताल में GBS के मरीजों का फ्री इलाज होगा।
क्या है गुलियन-बैरे सिंड्रोम
गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक प्रकार की दुर्लभ बीमारी है जो इन दिनों पुणे शहर में तेजी से फैल रही है। यह बीमारी जीबीएस इंफेक्शन (GBS) के नाम से भी जानी जाती है। गुलियन-बैरे सिंड्रोम शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर करते हुए मसल्स को बुरी तरह प्रभावित करता है। इससे मसल्स की शक्ति कम होने लगती है और गम्भीर मामलों में मरीज को लकवा भी मार सकता है। जीबीएस तब होता है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली, जीवाणु या वायरल संक्रमण पर प्रतिक्रिया करते समय, गलती से उन नसों पर हमला करती है जो मस्तिष्क के संकेतों को शरीर के कुछ हिस्सों तक ले जाती हैं, जिससे कमजोरी, पक्षाघात या अन्य लक्षण होते हैं। खास बात यह है कि जीबीएस का इलाज बहुत महंगा है, प्रत्येक इंजेक्शन की कीमत 20,000 रुपये है।
जीबीएस या गुलियन बैरे सिंड्रोम एक प्रकार की दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिजीज है जिससे हर साल 7.5% मरीजों की मौत हो जाती है जबकि, जीबीएस में 20% मरीजों को वेंटिलेटर पर जाने की स्थिति बन जाती है और लगभग 25% मरीजों को कई महीनों तक सामान्य तरीके से चल फिर पाने में भी दिक्कत हो सकती है और मरीज को स्वस्थ होने में कम से कम 6 महीने का समय लगता है।