यूसीआईएल के अधीनस्थ ठेका मजदूरों का नरवा पहाड़ यूनिट का गठन

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जमशेदपुर:झारखंड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन का एक बैठक नारवा पहाड़ में आयोजित हुआ।बैठक का अध्यक्षता श्री.सुनील हंसदा ने किया।

बैठक का मुख्य विषय था

यूसीआईएल के अधिनस्त ठेका मजदूरों का नरवा पहाड़ यूनिट का गठन।

इस बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में यूनियन के प्रदेश महासचिव साथी डी. सी. गोहाइन एवम विसिष्ट अथिति के रूप में प्रदेश के संयुक्त महासचिव साथी सागर बेसरा उपस्थित थे।इसके अतिरिक्त उपाध्यक्ष साथी सतुआ हेंब्रम एवम गौतम बोस वक्ता थे।

इस बैठक में यूसीआईएल नारवा पहाड़ के ठेका मजदूर बड़े पैमाने में उपस्थित थे।उनके उपस्थित में सर्वसम्मति से झारखंड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन,नारवा पहाड़ यूनिट का गठन हुआ जो निम्न रूप है:

अध्यक्ष:गणेश माडी माडी,उपाध्यक्ष:दिपक कुमार सिंह एवम सुशिल सोरेन,सचिव:बुधराई हेम्ब्रम,सह सचिव:अर्जुन हांसदा एवम कामेश्वर मार्डी,कोषाध्यक्ष:आकाश मार्डी,सह कोषाध्यक्ष: बरसा हांसदा एवम रामचाँद टुडु तथा

कार्यकारिणी सदस्य के रूप में 11 लोगों को रखा गया।

इस अवसर पर साथी डी.सी गोहाईं ने अपने वक्त्यब्य में कहा की मजदूरों का लंबी लड़ाई का इतिहास रहा है।हमारा देश में मजदूरों के संघर्ष एवम शहादत के कारण आजादी के पूर्व एवम तत्पश्चात कई श्रम कानून अस्तित्व में आया जिसके चलते मजदूरों के अधिकारों को सुनिश्चित किया जा रहा था।वर्तमान केंद्र सरकार तमाम श्रम कानूनों को बड़े औधोगिक घराने एवम पूंजीपतियों के हित में संशोधन कर सिर्फ चार लेबर कोड में तब्दील कर दिया है।उन्होंने मजदूरों को आह्वान किया की लाल या हरा कोई भी झंडा से सिर्फ मजदूरों का यूनियन का पहचान नहीं होता है, उनके नेतृत्व करने की क्षमता एवम ईमानदारी से प्रबंधन से मजदूरों का हित में मांग को मनवाना सबसे बड़ी बात होता है। इस लिए मजदूरों का सामूहिक निर्णय के साथ साथ सामूहिक दावे भी यूनियन के माध्यम से प्रबंधन के पास रखना पड़ेगा।दलाली एवम मौका परस्ती के खिलाफ सावधान रहना पड़ेगा।उन्होंने देश भर में अलग अलग राज्य में हो रहे महिलाओं,

आदिवासियों, अकलियतों एवम दलितों के साथ अन्याय एवम जुल्म के खिलाफ जोरदार आवाज उठाने की बात किए।

सागर बेसरा ,गौतम बोस एवम सतुआ हेंब्रम ने कहा की यूरेनियम माइंस के क्षेत्र में कई दशक का अनुभव यह बता रहा है की मजदूरों के हित में तमाम श्रम कानून रहने के बावजूद यहां के कमोवेश सभी यूनियन निजी स्वार्थ में प्रबंधन से समझोता करते समय उस कानून के तहत समझोता नहीं करते है फलहस्वरूप मजदूर अपने अधिकार से वंचित होते है(संदर्भ पिछले वर्ष का स्थाई मजदूरों का बोनस समझोता)

अंत में नव गठित कमिटी के अध्यक्ष साथी गणेश मार्डी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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