गरबांध उत्क्रमित हाईस्कूल प्रधान ने फर्जी वाउचर जमाकर की पैसे की निकासी, जांच के बाद शिक्षा विभाग के मिलीभगत का खुल सकता राज

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शुभम जायसवाल

श्री बंशीधर नगर(गढ़वा) :– प्रखंड अंतर्गत उत्क्रमित हाईस्कूल गरबांध की प्रधान के कथित काले कारनामों से इन दिनों सुर्खियों में हैं। वे विद्यालय के उत्तरोत्तर विकास के लिये विद्यालय पर इतनी मेहरबान हैं कि विद्यालय विकास के लिए शिक्षा विभाग से पैसा मिलने से पहले ही उपयोगिता प्रमाण पत्र बीआरसी में जमा कर दिया। यह हम नहीं बल्कि उनके द्वारा बीआरसी केंद्र में विद्यालय विकास से संबंधित जमा किये गये उपयोगिता प्रमाण पत्र चीख-चीख कर कह रहा है। विद्यालय प्रधान ने जिस तरह से विद्यालय विकास मद एवं खेल मद की राशि को ठिकाने लगाने के लिये जिस तरह से हड़बड़ी में गड़बड़ी की है उससे शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा हो गया है।

सबसे दिलचस्प बात यह है कि शिक्षा विभाग के द्वारा विद्यालय विकास एवं खेल मद में वित्तीय वर्ष 2023-24 के दिसंबर माह में उत्क्रमित हाईस्कूल गरबांध को 75 हजार एवं 25 हजार कुल एक लाख रुपये प्रदान किया गया था। किंतु विद्यालय की प्रधान के द्वारा शिक्षा विभाग की राशि मिलने से पहले ही जून, जुलाई एवं अगस्त माह में ही विद्यालय में विकास कार्यों से संबंधित फर्जी तरीके से वाउचर लगाकर बीआरसी केंद्र को जमा कर दिया गया। विद्यालय की प्रधान ने जिन वाउचर का उपयोग किया है उसमें कई वाउचर फर्जी होने के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

विद्यालय की ओर से बीआरसी में शहर के एक प्रतिष्ठित ग्रोसरी दुकान श्याम शॉपी का जो वाउचर जमा किया है। श्याम शॉपी से किराना सामान की जगह वस्त्र और मेडिकल से जुड़े सामान क्रय करने का जिक्र है। अब सवाल उठता है कि क्या श्याम शॉपी जैसे किराना दुकान में वस्त्र मिलता है क्या? श्याम शॉपी जैसे किराना दुकान में बुखार मापने का यंत्र थर्मामीटर मिलता है क्या ? इससे स्पष्ट होता है कि विद्यालय प्रधान ने शिक्षा विभाग को धोखा देकर विद्यालय विकास एवं खेल मद में मिले एक लाख रुपये को ठिकाने लगा दिया गया है। अर्श फर्नीचर होम से स्कूल में फर्नीचर की आपूर्ति 13 अप्रैल 2024 तक नहीं हुई है। इसकी पुष्टि दुकानदार ने की है।

उस दुकान का बिल भी उपयोगिता प्रमाण में संलग्न है। मामला उजागर होने के बाद उक्त दुकानदार से फर्नीचर की मांग की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि विद्यालय के नाम पर फर्जी बिल बनाने और उस बिल के बदले भुगतान कराने में बीआरसी में कार्यरत एक कर्मी का अहम रोल है। उक्त कर्मी स्कूलों में खरीद बिक्री घोटाले का किंगपिन है। बीआरसी के उक्त कर्मी के संरक्षण में फर्जी वाउचर को बीआरसी बिना जांच पड़ताल किये आंख मूंद कर विद्यालय को पूरी राशि का भुगतान कर दिया जाता है। जिससे शिक्षा विभाग की भी कार्य प्रणाली संदेह के घेरे में है। सामान खरीद बिक्री में गड़बड़ी का मामला उजागर होने से विद्यालय प्रधान एवं शिक्षा विभाग की मिली भगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

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