गढ़वा: जिले में सरकारी व्यवस्था की लापरवाही एक बार फिर गंभीर सवालों के घेरे में है। सरकारी योजनाओं का लाभ जहां जरूरतमंद बुज़ुर्गों तक नहीं पहुंच पा रहा, वहीं मृत व्यक्ति वर्षों से वृद्धावस्था पेंशन योजना का पैसा उठाते रहे। यह हैरान करने वाली घटना श्री बंशीधर नगर नगर पंचायत क्षेत्र से सामने आई है।
मृत्यु के बाद भी तीन वर्षों तक पेंशन जारी
वार्ड नंबर 11, टोला टीकर निवासी शिव शंकर बैठा का निधन 4 सितंबर 2022 को 70 वर्ष की आयु में हो चुका था। परिजन के आवेदन पर नगर पंचायत ने उनका मृत्यु प्रमाण पत्र 13 जुलाई 2024 को जारी कर दिया। इसके बाद अंचल कार्यालय ने 13 जनवरी 2025 को मृतक का पारिवारिक सूची प्रमाण पत्र भी निर्गत कर दिया।
इसके बावजूद आश्चर्यजनक रूप से अंचल कार्यालय ने पेंशन सूची से मृत व्यक्ति का नाम हटाने की जरूरत नहीं समझी। परिणामस्वरूप अक्टूबर 2025 तक मृत पेंशनधारी के नाम पर वृद्धावस्था पेंशन निर्बाध जारी रहा।
जीवित पात्र बुज़ुर्ग चक्कर काट रहे, पर व्यवस्था आंख मूंदे बैठी
दूसरी ओर, शहरी क्षेत्र के कई बुज़ुर्ग जो पात्रता मानदंड पूरे करते हैं, वे महीनों से अंचल कार्यालय और नगर पंचायतों के चक्कर लगा रहे हैं। इसके बावजूद उनका नाम पेंशन सूची में शामिल नहीं किया जा रहा। सवाल उठता है, जब पात्र जीवित बुज़ुर्गों को पेंशन नहीं मिल रहा, तो मृत व्यक्ति के खाते में पैसा कैसे पहुंचता रहा।
सत्यापन प्रणाली धराशायी
नियमों के अनुसार हर महीने पेंशन सूची का सत्यापन जरूरी है। इसमें मृत व्यक्तियों के नाम हटाकर नए पात्रों को शामिल किया जाना चाहिए। लेकिन श्री बंशीधर नगर में सूची का प्रतिमाह सत्यापन नहीं हुआ, मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने के बाद भी जानकारी अपडेट नहीं की गई, कार्यालय कर्मियों ने बिना जांच-पड़ताल के फाइलें निपटाईं। यह लापरवाही न केवल सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि पात्र बुज़ुर्गों के साथ अन्याय भी।
जिम्मेदारी किसकी?
अब बड़ा सवाल यह है पेंशन जारी रहने की अनुमति किसने दी। मृत्यु प्रमाण पत्र और पारिवारिक सूची मिलने के बाद भी रिकॉर्ड अपडेट क्यों नहीं हुआ। क्या यह महज लापरवाही है या सिस्टम में कहीं गहरी गड़बड़ी।
इस पूरे मामले ने स्थानीय प्रशासन और अंचल कार्यालय की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सिस्टम सुधरना जरूरी, नहीं तो बढ़ते रहेंगे ऐसे मामले
अगर प्रत्येक माह सूची का सही तरीके से सत्यापन हो और संबंधित विभाग समय पर रिकॉर्ड अपडेट करें, तो ऐसे शर्मनाक मामले सामने नहीं आएंगे। फिलहाल, बुज़ुर्गों को न्याय और दोषियों की जवाबदेही दोनों की आवश्यकता है।
गढ़वा में सरकारी सिस्टम फेल, मुर्दे ले रहे पेंशन














