गुरुजी का निधन पार्टी और राज्य के लिए अपूरणीय क्षति, उनकी जीवनी को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए : धीरज दुबे

On: August 4, 2025 5:35 PM

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झारखंड वार्ता
रांची: झारखंड आंदोलन के प्रणेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक संरक्षक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर झामुमो मिडिया पैनलिस्ट सह केंद्रीय सदस्य धीरज दुबे ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि गुरुजी का जीवन संघर्ष, साहस और समाज के प्रति समर्पण की मिसाल है, जिसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना अत्यंत आवश्यक है।
धीरज दुबे ने कहा कि शिबू सोरेन केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा थे। उन्होंने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए आजीवन संघर्ष किया और आदिवासी अस्मिता को राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई। उनके नेतृत्व में झारखंड राज्य का सपना साकार हुआ। “गुरुजी का निधन न केवल पार्टी बल्कि पूरे राज्य के लिए अपूरणीय क्षति है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने मांग की कि गुरुजी के विचारों और संघर्षों को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए उनकी जीवनी को स्कूली और उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा, “जिस तरह महापुरुषों के जीवन प्रसंग विद्यालयों में पढ़ाए जाते हैं, उसी तरह शिबू सोरेन के विचार और संघर्ष की गाथा भी छात्रों को पढ़ाई जानी चाहिए, ताकि वे अपने इतिहास और संस्कृति से जुड़ सकें।”
धीरज दुबे ने आगे कहा कि शिबू सोरेन का जीवन केवल झारखंड तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने पूरे देश में वंचित समाजों की आवाज़ को बुलंद किया। उन्होंने संसद में जनहित से जुड़े मुद्दों को पुरज़ोर ढंग से उठाया और झारखंडी अस्मिता को सम्मान दिलाया।
उन्होंने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से अपील की कि शिबू सोरेन के जीवन पर आधारित सामग्री तैयार कर उसे शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। “यह पहल न केवल छात्रों को प्रेरित करेगी, बल्कि झारखंडी पहचान को भी सशक्त बनाने का काम करेगी,” उन्होंने कहा।
धीरज दुबे ने कहा कि गुरुजी का योगदान हमेशा अमर रहेगा और उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके विचारों को आत्मसात करें और उनके बताए रास्ते पर चलकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं।