विभागीय मंत्री रामदास सोरेन से भी धोखा,अतिथि शिक्षकों से नौकरी देने के नाम से पुष्प गुच्छ लेते हुए
रांची: रांची विश्वविद्यालय में पिछले 7 वर्षों से कार्य कर रहे अतिथि शिक्षक पिछले कई वर्षों से आवश्यकता आधारित शिक्षक के रूप में समायोजन करने की मांग कर रहे थे।। जिसको लेकर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग झारखंड सरकार ने 14 अक्टूबर 2024 को अपने अंतिम कैबिनेट में इस प्रस्ताव को लाया और अतिथि शिक्षकों को आवश्यकता आधारित शिक्षक के रूप में सेवा लेने से संबंधित प्रस्ताव को पारित भी कर दिया।।लेकिन यह प्रस्ताव ऐसा बनाया गया जिसमें न तो इनका समायोजन किया गया और न इनकी नौकरी रही।।इस प्रस्ताव में आवश्यकता आधारित शिक्षक की नई बहाली में दोबारा फॉर्म भरने तथा साक्षात्कार में शामिल होने का निर्देशन दिया गया अर्थात पुन: नई बहाली की सारी प्रक्रिया की जाएगी।। वहीं दूसरी ओर इसी प्रस्ताव में जिस संकल्प 1755 के द्वारा इन अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी उस संकल्प को भी निरस्त कर दिया गया, जिसके कारण अब यह स्थिति उत्पन्न हो गई है कि न नौकरी रही और न इनका समायोजन हो पाया।। इस तरह से रांची विश्वविद्यालय में कार्यरत 124 अतिथि शिक्षक की नौकरी अब समाप्त मानी जा रही है।। इस पर संघ के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद ने कहा कि यह कैसा प्रस्ताव था कि नौकरी देने के नाम से पहले की नौकरी को छीन लेना,यह पूरे हेमंत कैबिनेट का मजाक है, हेमंत कैबिनेट को धोखा दिया गया है।। इस पर संघ के संयोजक डॉ धीरज सिंह सूर्यवंशी ने कहा कि सचिव राहुल पुरवार तथा उपनिदेशक विभा पांडेय ने हेमंत कैबिनेट को बोका बनाया, जिनकी नियुक्ति पहले से नियम संगत हुई है, उन्हें फिर से फॉर्म भराना और साक्षात्कार कराना, और नियुक्ति नहीं होती है तो नौकरी समाप्त माना जाएगा का फरमान जारी करना, यह झारखंड में अफसर शाही को दर्शाता है, ये लोग सभी अतिथि शिक्षकों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं।। ज्ञातव्य है कि इन अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति राज्य सरकार के संकल्प 1755 के तहत की गई थी जिसमें इन अतिथि शिक्षकों को नेट उत्तीर्ण कक्षा आधारित शिक्षक कहा गया है, जिसमें स्पष्ट निर्देशन था कि जब तक परमानेंट की बहाली नहीं हो जाती है तब तक इनको नहीं हटाया जा सकता, लेकिन कैबिनेट के माध्यम से इस संकल्प को ही निरस्त कर दिया गया।। वहीं दूसरी ओर आवश्यकता आधारित शिक्षकों को 57700 रुपया प्रतिमाह मानदेय का भुगतान किया जा रहा है जबकि सरकार के द्वारा ही नियुक्त इन अतिथि शिक्षकों को 17 महीने से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है।।