ट्रंप-पुतिन वार्ता फेल हुई तो भारत की खैर नहीं, अमेरिका ने दी चेतावनी

On: August 14, 2025 7:58 PM

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वाशिंगटन: अलास्का में शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली महत्वपूर्ण बैठक पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं। इस बैठक को केवल रूस और अमेरिका के बीच के संबंध तक सीमित न मानते हुए अमेरिका ने इसे भारत और टैरिफ वॉर से भी जोड़ दिया है।
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने स्पष्ट किया है कि अगर ट्रंप और पुतिन की बातचीत असफल रहती है, तो अमेरिका भारत पर और अधिक टैरिफ लगा सकता है। बेसेंट ने कहा कि अलास्का बैठक के नतीजों के आधार पर वॉशिंगटन भारत पर सेकंडरी टैरिफ बढ़ाने पर विचार कर सकता है।
उन्होंने ब्लूमबर्ग से बातचीत में बताया, “हमने पहले ही रूस से तेल ख़रीदने के मामले में भारत पर सेकंडरी टैरिफ लगा दिए हैं। अगर हालात ठीक नहीं रहे, तो प्रतिबंध या सेकंडरी टैरिफ बढ़ाए जा सकते हैं।”
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम अमेरिका की वैश्विक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह रूस और उसके सहयोगियों के साथ व्यापारिक लेन-देन को प्रभावित करने का प्रयास कर रहा है। वहीं भारत के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है, क्योंकि यह न केवल ऊर्जा सुरक्षा बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संबंधों पर भी असर डाल सकता है। सरकार और व्यापारिक विशेषज्ञ भारत को अमेरिकी कदमों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने और वैकल्पिक ऊर्जा और व्यापारिक रणनीतियों को मजबूत करने की सलाह दे रहे हैं।
इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस से तेल और हथियार खरीदने पर भारत पर मौजूदा 25% टैरिफ के अलावा 25% अतिरिक्त जुर्माना लगाने की घोषणा की, जो 27 अगस्त से लागू हो सकता है। ट्रंप का आरोप है कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदकर उसे ग्लोबल मार्केट में ऊंचे दामों पर बेचता है और यूक्रेन युद्ध को फंड करता है। इसके जवाब में भारत ने कहा कि रूस से तेल खरीदने के लिए मजबूरी थी, क्योंकि यूक्रेन संघर्ष के बाद परंपरागत सप्लायर्स ने यूरोप को सप्लाई बढ़ा दी थी, और उस समय अमेरिका ने भारत को ऐसा कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित भी किया था।