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डॉक्टर ने टांके की जगह बच्चे के घाव को फेवीक्विक से चिपकाया, रातभर दर्द से तड़पता रहा मासूम

On: November 20, 2025 5:43 PM
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मेरठ (उ. प्र): मेरठ की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। जागृति विहार एक्सटेंशन स्थित महपल हाइट्स में रहने वाले फाइनेंस प्रोफेशनल जसप्रिंदर सिंह के दो वर्षीय बेटे मनराज सिंह के साथ हुई मेडिकल लापरवाही ने लोगों को हिलाकर रख दिया है।

चोट लगी, परिजन घबराकर अस्पताल पहुंचे… और शुरू हुआ दर्दनाक सिलसिला

घर में खेलते समय मनराज की आंख के पास गहरी चोट लग गई। घबराए परिजन तुरंत उसे भाग्यश्री अस्पताल लेकर पहुंचे। लेकिन यहां जो व्यवहार मिला, उसने परिवार को और अधिक परेशानी में डाल दिया।

परिजनों के मुताबिक, ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों ने टांके लगाने से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना था कि टांके लगाने से चेहरे पर निशान पड़ जाएगा, इसलिए बेहतर है कि पांच रुपये की फेवीक्विक (Fevikwik) ले आओ, इससे घाव चिपका देंगे। परिजन डॉक्टर की सलाह पर फेवीक्विक ले आए।

फेवीक्विक लगते ही दर्द से तड़प उठा बच्चा

जैसे ही डॉक्टरों ने आंख के पास कट पर फेवीक्विक लगाया, दो वर्षीय मनराज दर्द से जोर-जोर से रोने लगा। लेकिन डॉक्टरों ने इसे बच्चे का डर बताकर नजरअंदाज कर दिया। धीरे-धीरे फेवीक्विक का जमाव और सख्त होता चला गया। दर्द कम होने की बजाय लगातार बढ़ता गया। परिजन रातभर परेशान रहे।

हटाया गया चिपका रसायन

सुबह परिवार मनराज को लोकप्रिय अस्पताल लेकर पहुंचा। चिकित्सकों ने बच्चे की हालत और फेवीक्विक देखकर हैरानी जताई। डॉक्टर्स ने बताया कि यह व्यवहार न केवल गैर-वैज्ञानिक है बल्कि बच्चे की आंख को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता था।

फेवीक्विक हटाने में करीब तीन घंटे का समय लगा। इस दौरान मासूम लगातार दर्द से कराहता रहा। चिपका हिस्सा सुरक्षित तरीके से अलग करने के बाद डॉक्टरों ने घाव का वास्तविक उपचार किया और चार टांके लगाए। इसके बाद बच्चे की स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो सकी।

पिता ने किया अस्पताल से जवाब तलब, CMओ से की शिकायत

गंभीर लापरवाही से आहत पिता जसप्रिंदर सिंह ने भाग्यश्री अस्पताल पहुंचकर डॉक्टरों से जवाब मांगा, लेकिन कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने पूरे मामले की शिकायत मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) से की।

शिकायत में उन्होंने लिखा है, “यदि फेवीक्विक का रसायन बच्चे की आंख में चला जाता, तो उसकी दृष्टि को स्थायी नुकसान पहुंच सकता था। यह डॉक्टरों की अनदेखी नहीं, बल्कि बच्चे की जान से खिलवाड़ है।”

CMO ने दिया जांच का आदेश, एक हफ्ते में रिपोर्ट तलब

CMO कार्यालय ने शिकायत प्राप्त होते ही मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच कमेटी गठित कर दी है। अस्पताल से जुड़े डॉक्टरों व स्टाफ के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।

अगर अस्पताल दोषी पाया गया तो कड़ी कार्रवाई की संभावना है, जिसमें लाइसेंस निलंबन से लेकर कानूनी कार्रवाई तक शामिल हो सकती है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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