रांची। राजधानी रांची की आध्यात्मिक फिज़ा शुक्रवार को कुछ यूँ सरस हो गई मानो शहर पर दिव्यता बरस रही हो। मौका था जय स्वर्वेद कथा एवं ध्यान साधना सत्र का, जिसमें स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक, सुपूज्य संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज का आगमन हुआ। कार्निवाल बैंक्वेट हॉल श्रद्धा, भक्ति और दिव्य चेतना का ऐसा संगम बन गया, जहाँ हजारों श्रद्धालुओं के अंतर्मन को शांति, प्रेम और आत्मजागरण का अनमोल वरदान प्राप्त हुआ।
सत्संग से निखरता है जीवन
संत प्रवर जी ने अपने प्रवचन में कहा —सत्संगति हमारे जीवन को निखारती है। शरीर की पुष्टि और इन्द्रियों की तृप्ति मानव जीवन का उद्देश्य नहीं हो सकता। मानव जीवन केवल अर्थ और काम तक सीमित नहीं है, यह लोककल्याण, आत्मजागरण और ईश्वर-साक्षात्कार के लिए मिला है। उनके ये वचन हॉल में बैठे प्रत्येक व्यक्ति के हृदय को झकझोर गए। उन्होंने कहा कि जीवन की सारी जटिलताओं की जड़ मन में है। यदि मन को साध लिया जाए, तो जीवन अपने आप सरल हो जाता है। उन्होंने समझाया बाहर की लड़ाइयाँ भीतर की हार से जन्म लेती हैं। आंतरिक शांति के अभाव से ही आज विश्व में अशांति है।
स्वर्वेद: आध्यात्मिक ज्ञान का महाशास्त्र
दिव्यवाणी में संत प्रवर जी ने विहंगम योग के प्रणेता अनन्त श्री सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज की साधना का उल्लेख करते हुए कहा कि सद्गुरु ने अपनी तपस्या से ईश्वर से योग की प्राप्ति कर, उसे स्वर्वेद के रूप में मानवता को सौंपा। उन्होंने कहा स्वर्वेद अध्यात्म का महाशास्त्र है। यह चेतन प्रकाश है, जिसके आलोक में अविद्या, अंधकार और मिथ्याज्ञान नष्ट हो जाते हैं। स्वर्वेद आत्मा की यात्रा को जाग्रत रखता है और साधक को ईश्वर से जोड़ता है।
साधना: खुद से खुद की दूरी मिटाने का मार्ग
सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को महाराज जी ने विहंगम योग की क्रियात्मक साधना कराई। उन्होंने कहा यह साधना खुद से खुद की दूरी मिटाने का मार्ग है। जब इंसान खुद से जुड़ता है, तभी वह परमात्मा से भी जुड़ता है। साधना सत्र में बैठे हर साधक को लगा मानो उनके भीतर वर्षों से सोया आत्मविश्वास और आत्मचेतना जाग उठा हो।
युवाओं को मिला जीवन-दर्शन
युवाओं को विशेष संदेश देते हुए संत प्रवर जी ने कहा जिसमें वायु के समान वेग है, उमंग है, उत्साह है, वही युवा है। जो परिस्थितियों का दास नहीं, बल्कि स्वामी है, वही युवा है। जो निराश नहीं होता, लक्ष्य से भटकता नहीं, सबके लिए उपयोगी है, वही सच्चा युवा है। युवा केवल देश का भविष्य नहीं, बल्कि वर्तमान भी है। उनके ये शब्द रांची के युवाओं के लिए नई प्रेरणा लेकर आए।
स्वर्वेद संदेश यात्रा और महायज्ञ
आयोजकों ने बताया कि आगामी 25 एवं 26 नवम्बर 2025 को, वाराणसी के स्वर्वेद महामंदिर परिसर में 25,000 कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ और विहंगम योग संत समाज का 102वाँ वार्षिकोत्सव समर्पण दीप अध्यात्म महोत्सव भव्यता से संपन्न होगा। इसी महाआयोजन की तैयारी स्वरूप 29 जून को कश्मीर के श्रीनगर से स्वर्वेद संदेश यात्रा का शुभारंभ किया गया था। यह यात्रा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और बिहार से होती हुई अब झारखंड की राजधानी रांची पहुंची है।
इस यात्रा का उद्देश्य है महायज्ञ एवं महोत्सव के आध्यात्मिक लाभ को अधिक से अधिक जन-जन तक पहुँचाना। सेवा, भक्ति और आत्मजागरण की भावना को जागृत करना। साधना और अध्यात्म के माध्यम से मानवता को नई दिशा देना।
रांची का यादगार आध्यात्मिक क्षण
जय स्वर्वेद कथा केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि वह दिव्य क्षण था, जिसने रांची की आत्मा को झकझोर दिया। श्रद्धालु जब ध्यान-साधना से बाहर निकले तो उनके चेहरे पर शांति की आभा और हृदय में नई उमंग स्पष्ट झलक रही थी। लोगों का कहना था कि यह अनुभव साधारण प्रवचन नहीं, बल्कि आत्मा को स्पर्श करने वाली आध्यात्मिक यात्रा थी, जिसने जीवन के उद्देश्य की नई राह दिखा दी।