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जैश-ए-मोहम्मद ने बनाया महिला विंग, मसूद अजहर की बहन सादिया को मिली कमान

On: October 9, 2025 10:13 PM
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान आधारित कुख्यात आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने अब महिलाओं को भी आतंक के रास्ते पर उतारने की नई रणनीति अपनाई है। पहली बार किसी पाकिस्तानी आतंकी संगठन ने औपचारिक रूप से एक महिला विंग की स्थापना की है। इस महिला विंग का नाम ‘जमात-उल-मोमिनात’ रखा गया है और इसकी कमान खुद ग्लोबल आतंकी मसूद अजहर की बहन सादिया को दी गई है।

8 अक्टूबर से शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह खुलासा मसूद अजहर के नाम से जारी एक पत्र के जरिए हुआ है, जिसमें महिला विंग के गठन और उसकी गतिविधियों का जिक्र है। पत्र के अनुसार, 8 अक्टूबर से बहावलपुर और मरकज जैसे इलाकों में भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह वही क्षेत्र हैं जहां भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत जैश के कई ठिकानों को तबाह कर दिया था।

आतंकियों की पत्नियां और मदरसों की छात्राएं निशाने पर

जैश की इस नई महिला विंग में आतंकवादियों की विधवाओं, गरीब महिलाओं और मदरसों में पढ़ने वाली छात्राओं को शामिल किया जा रहा है। इनकी ट्रेनिंग फिदायीन हमलों (आत्मघाती हमलों) के लिए की जा रही है। बताया जा रहा है कि इस विंग में शामिल अधिकांश महिलाएं बहावलपुर, कराची, मुजफ्फराबाद, कोटली, हरिपुर और मंसेहरा के मदरसों से हैं।

पति की मौत के बाद सादिया बनी आतंक की कमांडर

सादिया का पति भारतीय वायुसेना के ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया था। इसके बाद वह जैश की महिला शाखा का नेतृत्व कर रही है और सक्रिय रूप से नई महिलाओं की भर्ती और उन्हें कट्टरपंथी विचारधारा से लैस करने के अभियान में जुटी है।

पहलगाम हमले के बाद बदली रणनीति

भारत के 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान स्थित जैश के 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी। इन हमलों में मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य, जिनमें सादिया का पति भी शामिल था, मारे गए थे। इसके बाद से जैश की रणनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है।

बोको हराम और ISIS जैसी राह पर जैश

अब तक पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों द्वारा महिलाओं का इस्तेमाल केवल सहायक भूमिकाओं में किया जाता था, लेकिन अब जैश, बोको हराम और ISIS जैसे संगठनों की तर्ज पर महिलाओं को सीधे हमलों में शामिल करने की रणनीति अपना रहा है। आतंकी विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं की भागीदारी से सुरक्षा एजेंसियों को पहचान और निगरानी में कठिनाई हो सकती है।

भारत की सख्ती के बाद नई चाल

भारत द्वारा आतंक के खिलाफ लगातार की जा रही सैन्य और कूटनीतिक कार्रवाई के चलते जैश-ए-मोहम्मद की कमर टूट गई है। अब संगठन महिलाओं को ‘हथियार’ बनाकर अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश में है। महिला विंग के गठन के लिए जैश ने पूरे पाकिस्तान में चंदा भी मांगा है।

जैश-ए-मोहम्मद का यह कदम न केवल पाकिस्तान की चरमपंथी सोच को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आतंकी संगठन अब मानवता की हर सीमा को पार करने को तैयार हैं। महिलाओं और छात्राओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें आत्मघाती हमलों में इस्तेमाल करना वैश्विक शांति के लिए गहरा खतरा बन सकता है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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