इस्लामाबाद: पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने कथित तौर पर महिलाओं को निशाना बनाकर एक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘तुफत अल-मुमिनात’ (Tufat al-Muminat) शुरू किया है, जो संगठन की नई महिला इकाई जमात-उल-मुमीनात (Jamaat-ul-Muminat) से जुड़ा बताया जा रहा है। इस पहल के तहत शामिल होने वाली महिलाओं से प्रतीकात्मक या दान के रूप में 500 पाकिस्तानी रुपये वसूले जा रहे हैं और प्रशिक्षण सत्र प्रतिदिन लगभग 40 मिनट का होगा। मौलाना मसूद अजहर ने इस महिला ब्रिगेड की कमान अपनी छोटी बहन सादिया अजहर को सौंपी है। सादिया का पति आतंकी यूसुफ़ अजहर ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया था। मसूद अजहर ने इस काम में अपनी छोटी बहन सफिया और उमर फारूक की बीवी अफरीरा फारूक को भी शामिल किया है, उमर फारूक ने पुलवामा आतंकी हमला किया था और बाद में भारतीय सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।
पहचान और मकसद- क्या बताया जा रहा है?
रिपोर्टों के अनुसार यह कार्यक्रम धार्मिक व्याख्यान, ऑनलाइन लेक्चर और संगठन की विचारधारा को प्रसारित करने वाले डिजिटल मॉड्यूल के माध्यम से महिलाओं को सक्रिय करने का लक्ष्य रखता है। जैश ने हाल ही में महिला विंग ‘Jamaat-ul-Muminat’ की स्थापना की थी और अब उसी ढांचे के तहत यह ऑनलाइन पाठ्यक्रम आरम्भ किया गया है; कुछ रिपोर्टों ने कहा है कि कार्यक्रम 8 नवंबर, 2025 से शुरू किया जाएगा। सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम भर्ती और फंडरेज़िंग दोनों के उद्देश्य से उठाया गया प्रतीत होता है।
सुरक्षा एजेंसियों और विश्लेषकों की चिंता
भारतीय तथा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों और पत्रकारियों के संपर्क में रहे विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि कट्टर संगठन डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर नई जनसांख्यिकी, विशेषकर महिलाओं को लक्षित कर रहे हैं ताकि उन्हें विचारधारा के जरिए आरम्भिक रूप से प्रभावित किया जा सके और बाद में लॉजिस्टिक, प्रचार तथा वित्तीय सहायता के कामों में लगाया जा सके। कई रिपोर्टों ने कहा है कि संगठन का यह नया तरीका ‘ब्रेनवॉश’ और रिक्रूटमेंट का नया मार्ग खोल सकता है और इससे घरेलू स्तर पर ही साजिशें फलित होने का खतरा बढ़ता है।
नेता-परिचय और पृष्ठभूमि
जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना मसूद अजहर ने 2000 में की थी; उसे यूएन और कई देशों ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है। पिछले दशकों में इस समूह को कश्मीर और भारत में कई बड़े हमलों से जोड़ा गया है। इसलिए सुरक्षा जगत में इसकी हर नई रणनीति गम्भीरता से देखी जा रही है। मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि संगठन के शीर्ष नेतृत्व और उनके रिश्तेदारों को नए महिला नेटवर्क के संचालन में भूमिका दी गई है।
फंडराइज़िंग का आयाम
रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि प्रशिक्षण के नाम पर ली जा रही 500 पाक रु. की राशि न केवल ‘रजिस्ट्रेशन फीस’ बल्कि फंडरेज़िंग का एक माध्यम भी है और मसूद अजहर द्वारा हालिया सार्वजनिक संबोधनों में दान और समर्थन की अपीलों का यह सिलसिला जुड़ा हुआ दिखता है। विशेषज्ञों के अनुसार डिजिटल दान और ऑनलाइन शुल्क आतंकवादी संगठनों को पारंपरिक निगरानी से बचकर फंड जुटाने का तरीका दे सकते हैं।
कानूनी-नैतिक मुद्दे और मीडिया रिपोर्टिंग का दायित्व
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इस तरह की खबरों को रिपोर्ट करते समय सावधानी आवश्यक है। समाचार संगठनों को तथ्यों की पुष्टि, निहित उद्देश्य का स्पष्ट उल्लेख और किसी भी प्रकार के प्रचार या उकसावे से बचना चाहिए। साथ ही सुरक्षा एजेंसियों और डिजिटल प्लेटफॉर्मों को निगरानी और रोकथाम के उपाय तेज करने होंगे ताकि ऑनलाइन प्रेरणा-और-रोजगार से जुड़ी गतिविधियों को समय पर पकड़ा जा सके।














