---Advertisement---

देश के 53वें CJI बने जस्टिस सूर्यकांत, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दिलाई शपथ

On: November 24, 2025 10:32 AM
---Advertisement---

नई दिल्ली: सोमवार को एक ऐतिहासिक पल में, जस्टिस सूर्यकांत ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मौजूदगी में भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) के रूप में शपथ ली। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

पृष्ठभूमि और नियुक्ति का कानूनी पहलू

राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 124(2) की शक्ति का उपयोग करते हुए जस्टिस सूर्यकांत को सीजेआई पद के लिए नामित किया। उनकी नियुक्ति की सिफारिश मौजूदा CJI बी.आर. गवई ने की थी, जिन्होंने वरिष्ठता परंपरा को बरकरार रखते हुए 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्ति की घोषणा की थी। इस प्रकार, जस्टिस सूर्यकांत का सीजेआई पद पर 24 नवंबर 2025 से कार्यकाल शुरू हो गया है।

जस्टिस सूर्यकांत का न्यायिक सफर और शिक्षा

सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में हुआ था। उन्होंने महार्षि दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक से 1984 में लॉ की डिग्री प्राप्त की और बाद में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से एलएलएम किया, जहां वे प्रथम श्रेणी (First Class First) में पास हुए। साल 1984 में उन्होंने हिसार के जिला न्यायालय में वकालत शुरू की और 1985 में चंडीगढ़ जाकर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में काम किया।  7 जुलाई 2000 को वह हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल (Advocate General) बने। मार्च 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा मिला। इसके बाद उन्होंने 9 जनवरी 2004 को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में स्थायी जज के रूप में पदभार संभाला। 5 अक्टूबर 2018 को उन्हें हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था। अंत में, 24 मई 2019 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने। उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि 9 फरवरी 2027 निर्धारित की गई है।

न्यायिक पहचान और प्रमुख योगदान

जस्टिस सूर्यकांत को संवैधानिक, सेवा (Service), और नागरिक (Civil) मामलों में विशेषज्ञता प्राप्त है। उन्होंने कई प्रमुख फैसलों में भूमिका निभाई है, जिनमें मानवाधिकार, लैंगिक न्याय, कैद सुधार, और संविधान संबंधी विवाद शामिल हैं। उन्होंने कानून में डिजिटल लहर के महत्व पर ज़ोर दिया है और कहा है कि कानूनी तंत्र हर भाषा में सुलभ होना चाहिए, ताकि अधिक लोग न्याय तक पहुंच सकें। उन्होंने युवा वकीलों और कानून स्नातकों को अपनी नैतिकता बनाए रखने और न्याय व्यवस्था में सकारात्मक योगदान देने की प्रेरणा दी है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

Join WhatsApp

Join Now