जमशेदपुर: प्रति रविवार की तरह सप्ताहिक सेंगेल प्रार्थना सभा का आयोजन करनडीह, जमशेदपुर में सेंगेल माझी अर्जुन मुर्मू की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। ततपश्चात सेंगेल कोर कमीटी के सदस्य प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जूम मीटिंग के मार्फत शामिल हुए।
सेंगेल कोर कमेटी की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि आज 25 जून की तारीख 1975 को स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने निजी स्वार्थों और अहंकार में देश पर इमरजेंसी लागू किया था। जो दुर्भाग्यपूर्ण था। ठीक उसी प्रकार शिबू सोरेन- हेमंत सोरेन ने झारखंड प्रदेश में आदिवासियों के खिलाफ इमरजेंसी लागू किया हुआ है। 5 जनवरी 23 को जहां मरांग बुरु को जैनों के हाथों बेचा है तो पहले 3.50 करोड़ रूपयों में झारखंड बेचा था। अब कुर्मी महतो को एसटी बनाने का अनुशंसा कर असली आदिवासियों के लिए फांसी का फंदा बनाया है। संताली भाषा और ओलचिकी का विरोध करते हुए इसे झारखंड की प्रथम राजभाषा नहीं बनाता है। सरना धर्म कोड के मामले में टालमटोल वाला रवैया अपनाता है। वोट बैंक की लालच में संताल परगना को ईसाई और मुसलमानों के हाथों सुपुर्द कर सरना आदिवासियों को बर्बाद कर रहा है। पिता-पुत्र CNT/ SPT कानून को तोड़ने का काम किया है। अबुआ दिसुम अबुआ राज को खत्म कर दिया है। स्थानीयता, आरक्षण और नियोजन के मामले पर भी वादाखिलाफी किया है।
दूसरी तरफ जेएमएम की बी टीम – माझी परगना महाल, असेका, हूल बैसी आदि आदिवासी गांव-समाज को नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा, ईर्ष्या द्वेष, आदिवासी महिला विरोधी मानसिकता और बहुमूल्य वोट को हँडिया दारु, चखना, रूपयों में खरीद बिक्री वाली बीमारियों को बढ़ाकर गांव- समाज को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। जो जनतंत्र, संविधान, कानून, मानव अधिकार आदि नहीं मानते हुए निर्दोष आदिवासियों को डंडोम (जुर्माना), बारोन (सामाजिक बहिष्कार), डान पनते (डायन प्रताड़ना) आदि के अन्यायपूर्ण और हिंसक कार्यों में फंसा कर रखते हैं। अतः जेएमएम राजनीतिक रूप से और उसकी बी टीम- माझी परगना महाल आदि सामाजिक रूप से आदिवासी गांव- समाज को गुलाम बना कर रखा है। अतएव जेएमएम और उसकी बी टीम से आदिवासियों को आजाद करना इमरजेंसी के खिलाफ हुए आंदोलन की तरह जरूरी है।
(2) सेंगेल द्वारा आहूत विश्व सरना धर्म कोड जनसभा, 30 जून कोलकाता चलो, की तैयारी पूरी है। कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में दिन के 1:00 बजे तक लाखों की संख्या में देश और विदेश से आदिवासी तीर धनुष, गाजा बाजा के साथ शामिल होंगे। हूल दिवस ( 30 जून 1855) के अवसर पर आयोजित होने वाले कोलकाता जनसभा से अदिवासियों के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक गुलामी से आजादी के जनक्रांति का शंखनाद किया जाएगा। करो या मरो की तर्ज पर 2023 में सरना धर्म कोड की मान्यता आंदोलन को सफल बनाया जाएगा।
(3) मणिपुर हिंसा की आग भारत के अन्य राज्यों में भी फैल सकती है। यदि वोट बैंक के लोभ लालच वाली राजनीति को आगे बढ़ाने का काम जारी रखा जायेगा। ऊंची जाति के लोगों को आरक्षण का लालच देकर वोट बैंक बढ़ाने की कसरत से निश्चित पूर्व से एसटी सूची में शामिल असली आदिवासियों के भविष्य पर नरसंहार जैसा संशय जब तक बना रहेगा, शांति का स्थायी रास्ता तलाशना आसान नहीं होगा। अतएव सेंगेल का सुझाव है मणिपुर हिंसा को रोकने एवं भारत के अन्य क्षेत्रों में इस आग को फैलने से रोकने के लिए अविलंब नीतिगत घोषणा किया जाए कि अगले 30 वर्षों तक कोई भी नई जाति को एसटी सूची में शामिल नहीं किया जाएगा।
सेंगेल कोर कमेटी की विशेष बैठक में सोनाराम सोरेन, बिमो मुर्मू,सुमित्रा मुर्मू ,बिरसा मुर्मू, तिलका मुर्मू एवम ज़ूम मीटिंग के माध्यम से 5 प्रदेशों के नेतागण शामिल हुए।