हिंदी व भोजपुरी साहित्यकार अनिरुद्ध त्रिपाठी ‘अशेष’ की पुस्तक, अष्टावक्र गीता : एक मीमांसा,भाग -1 का लोकार्पण
झारखंड प्रदेश के हिंदी व भोजपुरी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर अनिरुद्ध त्रिपाठी ‘अशेष’ की पुस्तक, मानस के आलोक में अष्टावक्र गीता : एक मीमांसा, भाग – एक का भव्य लोकार्पण तुलसी भवन, बिष्टुपुर में संपन्न
महाराजा जनक और महर्षि अष्टावक्र के संवाद पर आधारित इस अद्भुत गीता को श्री रामचरितमानस के आलोक में जन सुलभ व्याख्या के लिए उन्होंने पुस्तक के लेखक अनिरुद्ध त्रिपाठी ‘ अशेष ‘ जी की भूरि भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि अहंकार का अंत करके ही मोक्ष तथा ज्ञान को पाया जा सकता है, यही अष्टावक्र गीता का मूल संदेश है। बाल सुलभ सरलता और अहंकार मुक्त जीवन हमें आध्यात्मिकता के पथ पर अग्रसरित करती है और इससे हमें भगवत प्राप्ति और अंत में मोक्ष प्राप्ति होती है। उन्होंने कई प्रसंगों के माध्यम से अष्टावक्र गीता के महत्व की चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन वीणा पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर उपस्थित सभी सुधि पाठकों ने ‘अशेष’ जी के इस तपस्या रूपी प्रसाद का सह्रदय प्रशंसा किया और अगले ग्रंथ के प्रकाशन के लिए अग्रिम बधाई दिया।
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