रांची: झारखंड की राजधानी रांची अब हृदय रोग उपचार में देश के अग्रणी शहरों की कतार में शामिल हो गया है। भगवान महावीर मणिपाल अस्पताल, रांची ने कई जटिल और गंभीर हृदय रोगों का सफल इलाज कर यह साबित कर दिया है कि अब मरीजों को इलाज के लिए दिल्ली, मुंबई या अन्य महानगरों का रुख करने की आवश्यकता नहीं है।
अस्पताल की विशेषज्ञ टीम — डॉ. धनंजय कुमार (कंसल्टेंट, कार्डियोलॉजी), डॉ. दीपक कुमार (कंसल्टेंट, कार्डियोलॉजी), डॉ. रोहित कुमार (कंसल्टेंट, कार्डियोलॉजी) तथा डॉ. सुनील कुमार (सीनियर कंसल्टेंट, कार्डियोवास्कुलर एवं थोरेसिक सर्जरी) — ने हाल के महीनों में कई जटिल प्रक्रियाएँ सफलतापूर्वक की हैं। इनमें शामिल हैं :
माइका लीडलेस पेसमेकर प्रत्यारोपण – ऐसा छोटा पेसमेकर जिसे बिना तार के प्रत्यारोपित किया जाता है।
टीएवीआर (ट्रांसकैथेटर एऑर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट) – हृदय वाल्व को बिना बड़ी सर्जरी के बदलने की अत्याधुनिक तकनीक।
इम्पेला पंप समर्थित एंजियोप्लास्टी – प्रक्रिया के दौरान हृदय को सहारा देने वाला छोटा पंप, जो जटिल और उच्च जोखिम वाले मामलों में जीवनरक्षक साबित होता है।
आईवीयूएस गाइडेड पीसीआई और ऑर्बिटल एथरेक्टॉमी – हृदय की अत्यधिक कैल्सिफाइड धमनी का आधुनिक उपचार।
हाल की उपलब्धियाँ
70 वर्षीय गंभीर हृदय विफलता से पीड़ित मरीज का संकुचित वाल्व टीएवीआर तकनीक से सफलतापूर्वक प्रतिस्थापित किया गया।
अनेक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे एक उच्च जोखिम वाले मरीज में लीडलेस पेसमेकर प्रत्यारोपित किया गया।
84 वर्षीय हृदय विफलता के मरीज की इम्पेला समर्थित ट्रिपल वेसल एंजियोप्लास्टी से जान बचाई गई।
60 वर्षीय महिला के हृदय की अत्यधिक कैल्सिफाइड धमनी का उपचार आईवीयूएस गाइडेड स्टेंटिंग और ऑर्बिटल एथरेक्टॉमी के जरिये किया गया।
रांची बन रहा पूर्वी भारत का हृदय उपचार केंद्र
अस्पताल निदेशक आबिद तौकीर ने कहा, “इन महत्वपूर्ण सफलताओं के साथ रांची पूर्वी भारत में हृदय रोग उपचार का उत्कृष्ट केंद्र बनकर उभर रहा है। हमारा लक्ष्य है कि झारखंड और बिहार के मरीजों को अब महानगरों की ओर भागने की जरूरत न पड़े और उन्हें विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएँ अपने घर के नजदीक ही उपलब्ध हों।”
झारखंड और आसपास के राज्यों के लिए यह बड़ी राहत की खबर है कि अब अत्याधुनिक हृदय उपचार सुविधाएँ यहीं रांची में मौजूद हैं।
भगवान महावीर मणिपाल अस्पताल बना झारखंड का हृदय उपचार हब: लीडलेस पेसमेकर और टीएवीआर प्रक्रिया सफल, हृदय रोगियों की जिंदगी को मिली नई राह

