गढ़वा: जिले के कांडी, केतार और भवनाथपुर प्रखंडों में इन दिनों लंपी वायरस से मवेशियों का प्रकोप तेजी से फैल रहा है, जिससे पशुपालक गंभीर चिंता और दहशत में हैं। इस वायरस के कारण अब तक आधा दर्जन से अधिक मवेशियों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य पशु संक्रमित अवस्था में हैं।
कांडी प्रखंड में स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है, जहां पशुपालक अपने पशुओं को भगवान भरोसे छोड़ देने पर मजबूर हैं। वे घरेलू उपायों से मवेशियों को ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ये उपाय प्रभावी नहीं साबित हो पा रहे हैं। इलाके के पशुपालकों का कहना है कि पिछले एक महीने से फैल रहे इस लंपी वायरस के कारण उन्हें बहुत त्राहि-त्राहि करनी पड़ रही है परंतु प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही तो उनके पशुधन को बड़ा नुकसान होगा, जो उनकी आजीविका का अहम स्रोत है।पशुपालन विभाग की कथित लापरवाही को लेकर स्थानीय लोग भी खासा नाराज हैं। उनका आरोप है कि विभाग को समस्या की पूरी जानकारी होने के बावजूद उपयुक्त कार्रवाई नहीं की गई है। इसका नतीजा यह रहा कि इलाके में दर्जनों मवेशियों की जान जा चुकी है।
पशुपालकों ने प्रशासन से इस गंभीर समस्या को लेकर त्वरित मदद की अपील की है। डीसी दिनेश कुमार यादव ने पशुपालन विभाग को प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर पशुओं की जांच, वैक्सीनेशन और आवश्यक दवा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं, ताकि संक्रमित मवेशियों का समय पर इलाज हो सके और पशुपालकों को राहत मिले।
इस दिशा में प्रशासनिक स्तर पर सतर्कता बढ़ाई जा रही है ताकि लंपी वायरस के प्रकोप को नियंत्रित किया जा सके और पशुपालकों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
बता दें कि लंपी वायरस से संक्रमित होने वाले मवेशियों में तेज बुखार, शरीर पर गोल गांठ, फोड़े, मुख लाल होना, नाक से पानी बहना, पैरों में सूजन, लंगड़ापन, भूख की कमी, दूध उत्पादन में कमी जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं। समय पर टीकाकरण और बीमार पशुओं का ठीक से इलाज होने पर वे स्वस्थ हो सकते हैं। ठीक से इलाज नहीं हुआ और लापरवाही बरतने पर उनकी मौत भी हो जाती है। यह वायरस संक्रमित पशुओं के संपर्क में आकर दूसरे पशु भी लंपी के शिकार हो जाते हैं।













