लाहौर: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के शेखुपुरा ज़िले के मुरीदके शहर में सोमवार (13 अक्टूबर 2025) को पाकिस्तानी रेंजर्स और पुलिस ने मिलकर ऐसा खूनी तांडव मचाया, जिसने पूरे देश को हिला दिया। पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) ने दावा किया है कि पाकिस्तानी रेंजर्स और पुलिस की फायरिंग में अब तक उनके 300 से ज्यादा कार्यकर्ता और नेता मारे गए हैं, जबकि 1500 से अधिक घायल हुए हैं।
यह भयावह घटना उस समय घटी जब कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के हजारों कार्यकर्ता “लब्बैक या अक्सा मार्च” के तहत लाहौर से इस्लामाबाद की ओर रवाना हुए थे। इस मार्च का मकसद अमेरिका और इजराइल के खिलाफ प्रदर्शन करना था।
गोलीबारी का सिलसिला
भारतीय समयानुसार तड़के करीब 4 बजे रेंजर्स और पुलिस ने मार्च को रोकने की कोशिश की। शुरुआत में स्मोक ग्रेनेड फेंके गए, लेकिन देखते ही देखते हालात बेकाबू हो गए और सुबह 9 बजे तक लगातार गोलीबारी होती रही। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुरक्षाबलों ने टीएलपी के मंच को भी आग के हवाले कर दिया।
मौलाना साद रिज़वी भी घायल
टीएलपी के प्रमुख मौलाना साद हुसैन रिज़वी को भी गोली लगने की खबर है। वायरल वीडियो में वह सुरक्षाबलों से गोलीबारी रोकने की अपील करते हुए मंच से गिरते हुए नजर आए।
लाहौर से मुरीदके तक तनाव
दरअसल, गाज़ा शांति समझौते के विरोध में टीएलपी ने शुक्रवार को इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास तक मार्च करने का ऐलान किया था। लाहौर से मार्च शुरू होते ही पुलिस ने फायरिंग की थी, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बावजूद मौलाना साद रिज़वी के नेतृत्व में यह काफिला शनिवार रात मुरीदके पहुंचा।
दो दिनों तक सरकार और टीएलपी के बीच बातचीत चली, लेकिन जब कोई समझौता नहीं हुआ, तो रविवार रात 11 बजे मौलाना साद ने इस्लामाबाद कूच करने का एलान कर दिया। इसी के कुछ घंटे बाद मुरीदके में तड़के सुरक्षाबलों ने भीषण गोलीबारी शुरू कर दी।
पहले से तय थी कार्रवाई?
रविवार देर रात ही प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और गृहमंत्री मोहसिन नक़वी ने आपात बैठक की थी, जिसमें कड़ी कार्रवाई का संकेत मिला था। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या मुरीदके नरसंहार की पटकथा उसी बैठक में लिखी गई थी।
एक महीने में तीसरी फायरिंग
यह पिछले एक महीने में तीसरी बड़ी घटना है जब पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने निहत्थे नागरिकों पर गोलियां चलाईं। 29 सितंबर और 1 अक्टूबर को पीओके में हुई फायरिंग में 19 लोगों की मौत हुई थी। 11 अक्टूबर को लाहौर में 15 लोग मारे गए और अब मुरीदके में मौत का आंकड़ा 300 पार कर गया है।
मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है और अस्पतालों में घायलों की लंबी कतारें लगी हैं। टीएलपी का दावा है कि अभी भी कई शव सड़क किनारे पड़े हैं, जिन्हें उठाने तक की अनुमति नहीं दी गई।
देशभर में बढ़ा आक्रोश
मुरीदके की इस घटना के बाद पाकिस्तान के कई शहरों में माहौल तनावपूर्ण है। सोशल मीडिया पर लोग इसे राज्य प्रायोजित नरसंहार बता रहे हैं। वहीं, सरकार की तरफ से अब तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है।
पाकिस्तान के मुरीदके में नरसंहार: पाक रेंजर्स और पुलिस की गोलीबारी में 300 से ज्यादा लोगों की मौत का दावा, 1500 घायल











