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नंदा देवी अमेरिकी परमाणु उपकरण: निशिकांत दुबे ने नेहरू-इंदिरा पर लगाए गंभीर आरोप

On: December 15, 2025 5:58 PM
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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों पर बेहद गंभीर और संवेदनशील आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि 1960 के दशक में चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA को भारत के हिमालयी क्षेत्र में गुप्त ऑपरेशन चलाने की अनुमति दी गई थी। उनके अनुसार, यह अनुमति तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और बाद में इंदिरा गांधी की सरकारों ने दी थी।

निशिकांत दुबे का आरोप है कि इस गुप्त मिशन के तहत उत्तराखंड की नंदा देवी चोटी पर प्लूटोनियम से संचालित परमाणु जासूसी उपकरण लगाया गया था, जिसे बाद में अमेरिकी एजेंट वहीं छोड़कर चले गए। उन्होंने आशंका जताई कि यही उपकरण आज भी पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बना हुआ हो सकता है।

कैंसर और प्राकृतिक आपदाओं से जोड़ा संबंध

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर किए गए पोस्ट में भाजपा सांसद ने सवाल उठाया कि क्या उत्तराखंड से लेकर पश्चिम बंगाल तक गंगा के किनारे बसे इलाकों में कैंसर के बढ़ते मामलों का संबंध इसी कथित परमाणु उपकरण से हो सकता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना, बादल फटने की घटनाएं, केदारनाथ जैसी आपदाएं, तीस्ता नदी में आई बाढ़ और पहाड़ी इलाकों में मकानों में दरारें आने जैसी घटनाओं के पीछे भी यही वजह हो सकती है।



1964, 1967 और 1969 में हुए ऑपरेशन का दावा

दुबे के मुताबिक, यह गुप्त CIA ऑपरेशन अलग-अलग चरणों में हुआ। पहला प्रयास 1964 में जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में किया गया, जबकि इसके बाद 1967 और 1969 में इंदिरा गांधी के शासनकाल के दौरान गतिविधियां जारी रहीं। उनका आरोप है कि खराब मौसम और तकनीकी कारणों से उपकरण हटाया नहीं जा सका और उसे हिमालय में ही छोड़ दिया गया।

1978 में संसद में स्वीकारोक्ति का दावा

भाजपा सांसद ने यह भी कहा कि वर्ष 1978 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने लोकसभा में इस मुद्दे को स्वीकार किया था। दुबे के अनुसार, संसद में यह माना गया था कि नंदा देवी क्षेत्र में अमेरिकी खुफिया एजेंसी द्वारा परमाणु उपकरण लगाया गया था, जिससे रेडियोधर्मी रिसाव का खतरा उत्पन्न हो सकता था।

अमेरिकी सांसदों के पत्र का हवाला

एक अन्य पोस्ट में निशिकांत दुबे ने 1978 का एक पत्र भी साझा किया, जिसे अमेरिका के कुछ सांसदों ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति को लिखा था। इस पत्र में हिमालय में CIA द्वारा किए गए गुप्त ऑपरेशन और प्लूटोनियम आधारित उपकरण से संभावित रेडियोधर्मी रिसाव पर चिंता जताई गई थी। सांसदों ने अमेरिकी सरकार से इस मामले की जांच कराने और आरोप सही पाए जाने पर जिम्मेदारी लेने की मांग की थी।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट का उल्लेख

दुबे ने दावा किया कि हाल के दिनों में अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में भी इस गुप्त ऑपरेशन से जुड़ा मामला प्रकाशित हुआ है, जिसमें नंदा देवी पर लगाए गए जासूसी उपकरण और उसके खतरों का जिक्र किया गया है।

नेहरू-गांधी परिवार पर सीधा हमला

भाजपा सांसद ने इस पूरे मामले को लेकर नेहरू-गांधी परिवार पर सीधा राजनीतिक हमला भी बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि विदेशी ताकतों के साथ समझौते कर देश की सुरक्षा और पर्यावरण से समझौता किया गया, जिसका खामियाजा आज देश की जनता, किसान और आने वाली पीढ़ियां भुगत रही हैं। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लेते हुए कहा कि यह पूरा मामला जनता के सामने आना चाहिए।

लंबे समय से उठता रहा है सवाल

गौरतलब है कि नंदा देवी क्षेत्र में कथित अमेरिकी परमाणु जासूसी उपकरण को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। हालांकि, अब तक इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है कि वहां छोड़ा गया उपकरण आज भी मौजूद है या उससे किसी प्रकार का रेडियोधर्मी प्रभाव पड़ रहा है।

फिलहाल, निशिकांत दुबे के इन आरोपों ने एक बार फिर इस पुराने और संवेदनशील मुद्दे को राजनीतिक और सार्वजनिक बहस के केंद्र में ला दिया है। अब देखना होगा कि सरकार या संबंधित एजेंसियां इस पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं और क्या किसी स्तर पर जांच की मांग तेज होती है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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