सभी बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बंगाल के बच्चें गुरुकुल पब्लिक स्कूल धनबाद, बीहटा आवासीय विद्यालय एवं बाल निकेतन आवासीय विद्यालय बीहटा पटना के हैं। बच्चों के अभिभावकों ने मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल, ACB तक लगाई है गुहार।
लातेहार:- जिले का नेतरहाट आवासीय विद्यालय देश भर में प्रसिद्ध है। यहां पर नामांकन कराने को लेकर बच्चों के अभिभावकों को कठिन परिश्रम करना पड़ता है। बच्चों के अभिभावक सुनीता देवी, पिंटू कुमार, बिजेंद्र कुमार, आमोद प्रसाद, सुप्रभा, अनिता टोप्पो ने राज्य के मुख्यमंत्री व राज्यपाल ,ACB इत्यादि को आवेदन देकर नेतरहाट आवासीय विद्यालय की परीक्षा में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है। अभिभावकों ने बताया कि दो साल पूर्व से ही बच्चों को इसकी तैयारी कराई जाती है। परंतु रिजल्ट सामने आने पर झारखंड के बच्चों को सिर्फ निराशा हाथ लगता है। एक ऐसा ही सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। बच्चों के अभिभावकों ने दावा किया है कि नेतरहाट आवासीय विद्यालय के प्राचार्य प्रसाद पासवान जो वहां बरसों से जमे हुए हैं और सभापति संतोष उरांव के साथ मिली भगत से परीक्षा के परिणाम में खेल कर दिया गया है। नेतरहाट आवासीय विद्यालय में 100 बच्चों का चयन हुआ है जिसमें बिहार ,छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल के लगभग 90 बच्चों का चयन किया गया है।
झारखंड के विभिन्न कोने से जाति आवासीय बनवाकर फार्म भरवा दिया गया है। जाति, आवासीय बनाने वाला का गिराेह इतना मजबूत है कि सब ओरिजिनल तरीके से बनाया जाता है। इसीलिए जांच में कुछ भी नहीं निकलता है। मगर बच्चे का जब घर खोजने के लिए झारखंड में जाएंगे तो उनका घर झारखंड में कहीं नहीं मिलेगा बल्कि बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बंगाल, इत्यादि राज्य मे मिलेगा। जबकि सरकार का निर्देश है कि नेतरहाट आवासीय विद्यालय में झारखंड के बच्चों का ही नामांकन लिया जाएगा। बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल, छत्तीसगढ़, उड़ीसा के बच्चों का गुरुकुल पब्लिक स्कूल और धनबाद के विभिन्न स्कूलों में पढ़ाकर नामांकन किया गया है। इनका एक लंबा गीराेह है जो विभिन्न सरकारी स्कूलों में दूसरे राज्य के बच्चों का नाम लिखवा देते हैं, इसके लिए सरकारी स्कूल में मोटा पैसा लेकर एडमिशन रजिस्टर तक को बदला जाता है और जो बच्चे पास नहीं होते हैं उनका रजिस्टर में नाम नहीं चढ़ाया जाता है। बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बंगाल के बच्चों के अभिभावकों से मोटा रकम लेकर नेतरहाट आवासीय विद्यालय में नामांकन कराने का काम हरेक साल किया जाता है।
गुरुकुल खरकाबाद, गोविंदपुर का झारखंड में दूसरे दूसरे जिले में स्कूल भी चलाते हैं। जैसे में सरस्वती विद्या मंदिर भूली, धनबाद इनका सगा भाई का है। इनका स्कूल रांची में भी है और बिहार के बच्चों को अपने स्कूल में पढ़ाकर सरकारी स्कूल से भी फार्म भराकर सेटिंग करवाते हैं। इसी तरह का एक स्कूल पटना बिहटा बिहार में भी है जो अपने यहां बच्चों को पढ़ाकर झारखंड के विभिन्न सरकारी स्कूलों से फॉर्म भरवाते हैं। बीहटा वाले भी स्कूल के प्रिंसिपल का दो भाई हैं। जो एक स्कूल बाल निकेतन के नाम से चलाते हैं। वहां से भी इस बार 14 बच्चे पास किए हैं, दो बच्चे एक ही घर के हैं। मनेर, पटना के अभिषेक कुमार और अमन कुमार, इनका तो पूरा ऑडियो गार्जियन लोगों के पास है जिसमें साफ बोल रहे हैं कि मेरा बिहार पटना घर है और बिहार के बच्चे को झारखंड का जाति, आवासीय बनवाकर एडमिशन करवा देते हैं। इनके यहां भी बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बंगाल के बच्चों का जाति, आवासीय झारखंड से बनवाकर नामांकन करवाते हैं। इस परीक्षा में सबसे बड़ी बात यह है कि पलामू प्रमंडल से मात्र एक ही छात्र का चयन किया गया है। अभिभावकों ने बताया कि बिहार, छत्तीसगढ़, बंगाल के बच्चों को एक ही सेंटर पर रोल नंबर, सीरियल नंबर देकर परीक्षा ली गई थी और सभी बच्चों को चयन हो गया है। इसके साथ ही पटना जिले के फतुआ निवासी आयुष यादव के पिता अभिनाश कुमार बिहार के एक सरकारी शिक्षक है। बिहार के इन बच्चों का हुआ चयन : बिहार के पटना निवासी शिवम शर्मा पिता प्रभाकर शर्मा रोल नंबर 2040137, बंगाल निवासी प्रतीक कुमार पिता रविन्द्र शर्मा (मां गुरुकुल धनबाद खरकाबाद में प्राइवेट टीचर हैं), रोल नंबर 2040111, पटना जिले के फतुआ निवासी आयुष यादव पिता अभिनाश कुमार रोल नंबर 2040059, मनेर बिहटा पटना अभिषेक कुमार दूसरा भाई अमन कुमार पिता राजकुमार समेत अन्य बच्चों का नाम शामिल हैं।
“मेरे पदस्थापना के पहले से इसी तरह परीक्षा ली गई है। मेरे तरफ से कोई गलती नहीं हुई है। अभिभावकों के द्वारा लगाए गए आरोप सरासर गलत है” – प्रसाद पासवान, प्राचार्य, नेतरहाट आवासीय विद्यालय, लातेहार।