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परमात्मा की प्राप्ति में देरी नहीं लगती, देरी लगती है संसार से मोह त्यागने में : जीयर स्वामी जी महाराज

हम जो चाहे वो हो जाए, हमारी सभी इच्छाएं पूरी हो जाए।बस यही सभी समस्याओं का जड़ है

श्री बंशीधर नगर(गढ़वा):– पूज्य संत श्री श्री 1008 श्री लक्ष्मी प्रप्पन श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि संसार में आज तक ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं हुआ है जिसकी सारी इच्छाएं पूरी हो गई हो। जब से सृष्टि की रचना हुई है तब से आज तक किसी की सारी इच्छाएं पूरी नहीं हुई है। हां एक बात जरूर है जिसने सभी इच्छाओं का त्याग कर दिया और सिर्फ ईश्वर से अपना नाता जोड़ लिया उसको ईश्वर ने साक्षात दर्शन दिया है और अंततः उसकी मोक्ष की प्राप्ति भी हुई है। अतः व्यक्ति को अपने सुख के लिए दिन रात अथक प्रयास नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरे जीवन में सभी समस्याओं का जड़ यही है कि हमारी सभी इच्छाएं पूरी हो जाए। और कभी भी सारी इच्छाएं पूरी हो नहीं सकती। तो प्रयास करना है बेकार है।मेरे मन की सारी बात पूरी हो जाए इसी को कामना कहते हैं। और यही कामना दुख का कारण है। इसका त्याग किए बिना कोई सुखी नहीं हो सकता। मुझे कैसे सुख की प्राप्ति हो बस इसी वजह से मनुष्य ईश्वर से दूर होते चला जाता है। कामना उत्पन्न होते ही मनुष्य अपने कर्तव्य से भी दूर हो जाता है। कामना छूटने से जो सुख प्राप्त होता है वह सुख कामना की पूर्ति से कभी नहीं प्राप्त होता है। जिसको हम सदा के लिए अपने पास नहीं रख सकते उसकी इच्छा करने से और उसको पाने से भी क्या लाभ है। कामना के कारण ही हम अपने मार्ग से भटक जाते हैं और अंततः हमें दुख भोगना पड़ता है। कामना का सर्वथा त्याग कर दिया जाए तो आवश्यक वस्तुएं स्वत प्राप्त होगी। क्योंकि वस्तुएं निष्काम पुरुष के पास आने के लिए लालायित रहती है। जो अपने सुख के लिए वस्तुओं की इच्छा करता है उसको वास्तु के अभाव का दुख भोगना ही पड़ेगा। एकमात्र ईश्वर ही है जो 84 लाख योनियों में भी साथ थे हमें पहचानते थे और आज भी पहचान रहे हैं। और मोक्ष की प्राप्ति तक वह हमें पहचानते रहेंगे और हमेशा हमेशा हमारे साथ रहेंगे। अतः हर पल ईश्वर को याद करते रहना चाहिए। इसी में मनुष्य की भलाई है।

परमात्मा की प्राप्ति में देरी नहीं लगती, देरी लगती है संसार से मोह त्यागने में। जिस दिन हम संसार से मोह का त्याग कर देंगे। ईश्वर से स्वयं साक्षात्कार हो जाएगा ईश्वर से साक्षात्कार होने में एक पल भी नहीं लगेगा। जितना भी समय लगेगा संसार से मोह भंग करने में। परमात्मा की प्राप्ति के लिए मनुष्य जितना स्वतंत्र है उतना और किसी कार्य में स्वतंत्र नहीं है। परमात्मा प्राप्ति के लिए संसाधनों की उतनी जरुरत नहीं जितनी भीतर की लगन की जरूरत है। अगर अंदर से लगन लग गई तो ईश्वर से मिलने में जरा सा भी देर नहीं हो सकता। धन की प्राप्ति में तो कर्म की प्रधानता है पर परमात्मा की प्राप्ति में सिर्फ लालसा की प्रधानता है।

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