रांची :- माननीय राज्यपाल श्री सी०पी० राधाकृष्णन ने आज “विश्व आदिवासी दिवस” के अवसर पर राज भवन में जनजातीय समुदाय की विभिन्न हस्तियों व प्रबुद्धजनों से संवाद करते हुए कहा कि वे समाजहित में सक्रियता से कार्य करने हेतु सदैव प्रयासरत रहें तथा शिक्षित व ज्ञानवान समाज के निर्माण में अपनी अहम भागीदारी का निर्वहन करें। आपको समुदाय के लिए प्रेरणादायक कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में कहीं समस्याएँ हैं, तो वहाँ जाकर उसका समाधान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति समाज की भूमिका अविस्मरणीय है।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि झारखण्ड राज्य वीरों की भूमि है। धरतीआबा भगवान बिरसा मुंडा समेत कई महान हस्तियों ने मातृभूमि और समाज के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। माननीय प्रधानमंत्री जी ने उल्लेखनीय पहल करते हुए धरतीआबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को पूरे देश में ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। राष्ट्र के लिए उनके द्वारा किये गये बलिदान से भावी पीढ़ियों को प्रेरणा लेनी चाहिए।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि जनजाति समाज प्रकृति प्रेमी होते हैं। ग्लोबल वार्मिंग के इस युग में प्रकृति के संरक्षण हेतु इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग बड़े शहरों में रहते हैं, उनके पास बड़ी इमारतें हैं, सुख-सुविधाओं से घिरे हुए हैं, लेकिन वे दुखी हैं। ऐसे में झारखंड के छोटे-छोटे ग्रामों में रहने वाले लोगों को देखना चाहिए। वे खुश हैं क्योंकि आत्मसंतोष अथवा संतुष्टि की भावना है और वे लालच से दूर अपनी कड़ी मेहनत पर भरोसा करते हैं।
माननीय राज्यपाल ने कहा जनजातियों की कला, संस्कृति, लोक परंपरा और रीति-रिवाजों में जीवंतता है। पारंपरिक गीत और नृत्य बहुत आकर्षक होते हैं। उन्होंने कहा कि झारखण्ड एवं तमिलनाडु की संस्कृति व खानपान में काफी एकरूपता है, सिर्फ भाषायी अंतर है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारे देश की संस्कृति अत्यन्त समृद्ध है। उन्होंने कहा कि विभिन्न पंचायतों के भ्रमण के क्रम में देखा है कि यहाँ की आदिवासी समाज की महिलाएं परिश्रमी हैं। वे स्वयं सहायता समूह से जुड़ रही हैं, इससे जुडने के उपरांत उनके सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सकारत्मक परिवर्तन देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यहाँ के जनजाति समुदाय के लोग कई क्षेत्रों, विशेषकर कला, साहित्य और खेल के विभिन्न रूपों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। झारखंड को “लैंड ऑफ आर्चरी” के रूप में जाना जाता है। यहाँ के विभिन्न खिलाड़ियों व एथलीटों ने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है। लेकिन हमें देखना होगा कि इनकी संख्या क्या है? हमें खेल के क्षेत्र में इन्हें प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि माननीय राष्ट्रपति जी ने रांची विश्वविद्यालय के अलग जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस उल्लेखनीय पहल ने राज्य के लोगों को अपनी भाषाओं और विरासत को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया है। उन्होंने कहा कि जनजातियों की भूमि हड़पने के कई मामले समाचारपत्रों में आते हैं, इस पर गंभीरता से चिंतन करने की आवश्यकता है।
उक्त अवसर राज्यपाल के शैक्षणिक सलाहकार प्रो० (डॉ०) ई० बाला गुरुसवामी ने कहा कि जनजातीय समाज में परंपरागत ज्ञान व कौशल अद्भुत है। वे हस्तशिल्प के क्षेत्र में निपुण हैं, उन्हें पर्याप्त बाजार सुलभ कराने की जरूरत है। उनके पारंपरिक दवा प्रभावशाली देखे गये हैं। उन्होंने युवाओं के सशक्तिकरण पर ज़ोर दिया।
झारखण्ड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ० दिनेश उरांव ने कहा कि राज्यपाल महोदय द्वारा आज जनजातीय समुदाय के लोगों को आमंत्रित कर संवाद करना उल्लेखनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि झारखण्ड राज्य पाँचवीं अनुसूची अंतर्गत आता है। उन्होंने 1996 के पारंपरिक ग्राम सभा की अवधारणा व पंचायती राज अधिनियम का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पहले विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा के लिए जनजातियों हेतु छोटे-मोटे कोचिंग सेंटर चलाया जाता था। उसे शुरू करने की जरूरत है।
पर्यावरण कार्यकर्ता पद्मश्री श्रीमती जमुना टुडू ने कहा कि राज्यपाल महोदय हमारे आदिवासी समाज के प्रति संवेदनशील है। वे विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने हेतु सड़क मार्ग से जा रहे हैं। चाकुलिया में आयोजित विश्व पर्यावरण महोत्सव के अवसर पर भी उनका आगमन सड़क मार्ग से हुआ था। उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व पर्यवरण के लिए चिंतित है। पर्यावरण सुरक्षा के लिए आदिवासी समाज प्रयासरत हैं और इसके लिए सबको आगे आने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर पेड़ कटाई हो रही है।
निदेशक, एक्सआईएसएस डॉ० जोसेफ एम० कुजूर ने संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी राज्यपाल द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन पहली बार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न पंचायतों के भ्रमण के क्रम में आदिवासियों की समस्या से आप भिज्ञ हैं और इस समाज को आपसे काफी अपेक्षाएँ हैं। सामूहिकता एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आपके द्वारा किए जा रहे पहल अत्यंत सार्थक हैं।
उक्त अवसर पर सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी श्री महादेव टोप्पो ने राज्यपाल महोदय को विभिन्न विषयों पर लिखित ‘सभ्यों के बीच आदिवासी’ एवं ‘आदिवासी विश्व चेतना’ भेंट की। इस अवसर पर डॉ० नारायण उरांव ने लोक गीत प्रस्तुत किया।